सोऽनुभूयासुखोदर्कान्दोषान्विषयसङ्गजान् । व्यपेतकल्मषोऽभ्येति तावेवोभौ महौजसौ

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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