Adhyay : 11 Mantra : 9 Back to listings शक्तः परजने दाता स्वजने दुःखजीविनि । मध्वापातो विषास्वादः स धर्मप्रतिरूपकः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related