Adhyay : 11 Mantra : 87 Back to listings हत्वा गर्भं अविज्ञातं एतदेव व्रतं चरेत् । राजन्यवैश्यौ चेजानावात्रेयीं एव च स्त्रियम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related