लक्ष्यं शस्त्रभृतां वा स्याद्विदुषां इच्छयात्मनः । प्रास्येदात्मानं अग्नौ वा समिद्धे त्रिरवाक्शिराः ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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