ब्रह्महा द्वादश समाः कुटीं कृत्वा वने वसेत् । भैक्षाश्यात्मविशुद्ध्यर्थं कृत्वा शवशिरो ध्वजम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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