वेदाभ्यासोऽन्वहं शक्त्या महायज्ञक्रिया क्षमा । नाशयन्त्याशु पापानि महापातकजान्यपि

प्रतिदिन वेद का अधिक-से-अधिक अध्ययन, प़ञ्चमहायज्ञों का अनुष्ठान, (क्षमा) तप-सहिष्णुता, ये क्रियाएं बड़े पापों से उत्पन्न पापभावनाओं या दुःसंस्कारों को भी नष्ट कर देती है ।

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