यो येन पतितेनैषां संसर्गं याति मानवः । स तस्यैव व्रतं कुर्यात्तत्संसर्गविशुद्धये

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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