Adhyay : 11 Mantra : 158 Back to listings ब्रह्मचारी तु योऽश्नीयान्मधु मांसं कथं चन । स कृत्वा प्राकृतं कृच्छ्रं व्रतशेषं समापयेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related