Adhyay : 11 Mantra : 157 Back to listings मासिकान्नं तु योऽश्नीयादसमावर्तको द्विजः । स त्रीण्यहान्युपवसेदेकाहं चोदके वसेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related