योऽनाहिताग्निः शतगुरयज्वा च सहस्रगुः । तयोरपि कुटुम्बाभ्यां आहरेदविचारयन्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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