Adhyay : 11 Mantra : 112 Back to listings आतुरां अभिशस्तां वा चौरव्याघ्रादिभिर्भयैः । पतितां पङ्कलग्नं वा सर्वोपायैर्विमोचयेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related