तिष्ठन्तीष्वनुतिष्ठेत्तु व्रजन्तीष्वप्यनुव्रजेत् । आसीनासु तथासीनो नियतो वीतमत्सरः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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