Adhyay : 11 Mantra : 111 Back to listings तिष्ठन्तीष्वनुतिष्ठेत्तु व्रजन्तीष्वप्यनुव्रजेत् । आसीनासु तथासीनो नियतो वीतमत्सरः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related