Adhyay : 10 Mantra : 98 Back to listings वैश्योऽजीवन्स्वधर्मेण शूद्रवृत्त्यापि वर्तयेत् । अनाचरन्नकार्याणि निवर्तेत च शक्तिमान् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related