सद्यः पतति मांसेन लाक्षया लवणेन च । त्र्यहेण शूद्रो भवति ब्राह्मणः क्षीरविक्रयात् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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