व्रात्यात्तु जायते विप्रात्पापात्मा भूर्जकण्टकः । आवन्त्यवाटधानौ च पुष्पधः शैख एव च । ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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