Adhyay : 1 Mantra : 98 Back to listings उत्पत्तिरेव विप्रस्य मूर्तिर्धर्मस्य शाश्वती । स हि धर्मार्थं उत्पन्नो ब्रह्मभूयाय कल्पते Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related