(इह) इस संसार में (येषां भूतानाम्) जिन मनुष्यों का – वर्णंगत मनुष्यों का (यादृशं कर्म) जैसा कर्म (कीर्तितम्) वेदों में कहा है (तत्) उसे (तथा) वैसे ही (१।८७-९१) (च) और (जन्मनि) उत्पन्न होने में (क्रमयोगम्) जीवों का जो एक निश्चित प्रकार रहता है , उसे (वः) आप लोगों को (अभिधास्यामि) कहूँगा ।