Adhyay : 1 Mantra : 117 Back to listings संसारगमनं चैव त्रिविधं कर्मसंभवम् । निःश्रेयसं कर्मणां च गुणदोषपरीक्षणम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related