खुदा सर्वज्ञ अर्थात हर हाजिर नाजिर नहीं है
जो खुदा आगे की बातें या मनुष्यों के दिलों की कमजोरी को न जान सके क्या वह खुदा सर्वज्ञा हो सकता है? कुरान में खुदा को सर्वज्ञ कई स्थानों पर लिखा है कुरान का वह दावा इस प्रमाण से गलत साबित हो गया।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
का-ल इन्नहू यकूलु इन्नहा ब………..।।
(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू ८ आयत ७१)
(खुदा ने कहा) गरज उन्होंने गाय हलाल की और उनसे उम्मेद न थी कि करेंगे।
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इसमें कुरानी अरबी खुदा कहता है कि मुझे उम्मीद न थी कि वे लोग गाय हलाल करेंगे। इससे स्पष्ट है कि खुदा ने अपनी सर्वज्ञता का स्वयं खण्डन करके स्वयं को अल्पज्ञ घोषित कर दिया है। दो एक प्रमाण और भी देखें-
या अय्युहन्नबिय्यु हर्रिजजिल्-………………।।
(कुरान मजीद पारा ९ सूरा अन्फाल रूकू ८ आयत ६५)
ऐ पैगाम्बर! मुसलमानों को लड़ने पर उत्तेजित करो कि अगर तुम में से जमे रहने वाले बीस भी होंगे तो दो सौ पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे अगर तुमसे से सौ होंगे तो हजार काफिरों पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे। ।
अल्आ-न खफ्फफल्ललाहु अन्कुम………..।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा अन्फाल रूकू ८ आयत ६६)
अब खुदा ने तुम पर से अपने हुक्म का (बोझ) हल्का कर दिया और उसने देखा कि तुममें कमजोरी है तो अगर तुम में से जमे रहने वाले सौ होंगे तो दो सौ पर ज्यादा ताकतवर रहेंगे और अगर तुम में से हजार होंगे खुदा के हुक्म से वह दो हजार पर ज्यादा ताकतवर बैठेंगे। अल्लाह उन लोगों का साथी है जो जमे रहते हैं।
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इन आयतों में खुदा को स्पष्ट रूप से अल्पज्ञ बताया गया है। वह मुसलमानों की ताकत का भी सही अन्दाजा नहीं लगा पाया और धोखे में पहले गलत हुक्म दे बैठा। बाद में अपनी गलती को जब समझ पाया तो पहले हुक्म में तरमीम अर्थात् संशोधन किया गया। समझदार लोग ऐसे अल्पज्ञ अरबी खुदा को अपना पूज्य व रक्षक केसे मान सकते हैं?
देखिये कुरान में अन्यत्र भी लिखा है-
व कजालि-क ज- अल्नाकुम्……….।।
(कुरान मजीद पारा २ सूरा बकर रूकू १७ आयत १४३)
और ऐ पैगम्बर! जिस किब्ले पर तुम थे हमने उसको इसी मतलब से ठहराया था ताकि हमको मालूम हो जावे कि कौन-कौन पैगम्बर के आधीन रहेगा और कौन उल्टा फिरेगा।
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अरबी खुदा ने इसमें साफ-साफ कहा है कि वह यह नहीं जान पाया था कि कौन-कौन व्यक्ति पैगम्बर के आधीन रहेगा और कौन खिलाफ रहेगा? यह बात खुदा जांच करने के बाद ही जान पाया था । क्या ऐसा खुदा दरअसल वास्तविक खुदा माना जा सकता है?
अल-बक़रा (Al-Baqarah):70 – बोले, “हमारे लिए अपने रब से निवेदन करो कि वह हमें बता दे कि वह कौन-सी है, गायों का निर्धारण हमारे लिए संदिग्ध हो रहा है। यदि अल्लाह ने चाहा तो हम अवश्य। पता लगा लेंगे।”
अल-बक़रा (Al-Baqarah):71 – उसने कहा, ” वह कहता हैं कि वह ऐसा गाय है जो सधाई हुई नहीं है कि भूमि जोतती हो, और न वह खेत को पानी देती है, ठीक-ठाक है, उसमें किसी दूसरे रंग की मिलावट नहीं है।” बोले, “अब तुमने ठीक बात बताई है।” फिर उन्होंने उसे ज़ब्ह किया, जबकि वे करना नहीं चाहते थे
इसमें तो एसा कुछ भी नहीं बताया गया जैसा की आपने दावा किया है
samamjh naheen aaya kya?
🙂