खुदा की ‘‘कुन’’ अर्थात् हो जा क्या बला है?
यदि ‘‘हो जा’’ कहने से ही सब कुछ बन जाता था तो बिचारे खुदा को छः दिन रात दुनियां बनाने की कड़ी मेहनत क्यों करनी पड़ी? क्या इस ‘‘कुन’’ अर्थात् हो जा वाले छूमन्त्र को खुदा उस वक्त भूल गया था।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
कालत् रब्बिअन्ना यकूनु ली…………।।
(कुरान मजीद पारा ३ सूरा आले इम्रान रूकू ५ आयत ४७)
जब वह किसी काम का ठान लेता है तो बस! उसे फर्मा देता है कि ‘‘कुन’’अर्थात् हो जाता है।
समीक्षा
खुदा के ‘‘कुन’’अर्थात् हो जा के आदेश कौन- सुनता है? किससे खुदा ‘‘हो जा’’कहता है? यह भी खोला जाना था। खुदा को ‘‘हो जा’’कहने की क्या जरूरत थी? केवल मन से ही विचार करके काम क्यों नहीं कर लेता था। क्या खुदा भी ‘‘कुन’’का ही मुहताज है ?