कयामत के दिन फैसला किताबों से होगा
बतावें कि ये किताबें कानून की होंगी, खुदा के याद्दाश्त की डायरियां होंगी या लोगों के कर्मों के रजिस्टर होंगे? यदि ये किताबें किसी तरह गुम हो जावें या शैतान मियाँ चुरा ले जावें तो खुदा कयामत के दिन फैसला कैसे करेगा? क्या खुदा भी फैसले के लिये किताबों का मोहताज है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व अश्-र-कातिल् अरजु बिनूरि………।।
(कुरान मजीद पारा २३ सूरा जुमर ७ आयत ६९)
और जमीन अपने परवर्दिगार से चमक उठेगी और किताबें रख दी जायेंगी और उनमें पैगम्बर गवाह हाजिर किए जायेंगे और उनमें इन्साफ के साथ फैसला कर दिया जायेगा और उन पर जुल्म न होगा।
समीक्षा
कयामत के दिन खुदा जिन किताबों को देखकर फैसला करेगा वे दीवानी की होंगी या जाब्ता फौजदारी की होंगी? वह किताबें अगर दुनियाँ में भी आ जावें तो सभी लोग खुदा के कानूनों को पढ़कर जान लेवें कि खुदा जो दफा लगावेगा वह ठीक होगी या गलत और हमारे वकील भी तैयारी कर लेवेंगे।