जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा। मौत जब तुझको आवाज देगी,
घर से बाहर निलना पड़ेगा।। रूठ जाएँगी जब तुझसे खुशियाँ,
गम के साँचे मे ढलना पड़ेगा। वक्त ऐसा भी आएगा नादान,
तुझको काँटोँ पर चलना पड़ेगा।। कितना माशूर हो जाएगा तू,
इतना मजबूर हो जाएगा तू।
ये जो मखमल का चोला है तेरा,
ये कफन मेँ बदलना पड़ेगा।। कर ले इमान से दिल की सफाई,
छोड़ दे छोड़ दे तू बुराई। वक्त बाकी है अब भी संभल जा,
वरना दो ज़क मेँ जलना पड़ेगा।। ऐसी हो जाएगी तेरी हालत,
काम आएगी दौलत न ताकत। छोड़कर अपनी उँची हवेली,
तुझको बाहर निकलना पड़ेगा।। बाप बेटे ये भाई भतीजे तेरे साथी है
जीते जी के।
अपने आँगन से उठना पड़ेगा, अपनी चौखट से टलना पड़ेगा।।
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा।।_