हम और आप तो इतना ही जानते हैं और हकीकत भी यही है कि गर्मी में हम सूरज के करीब होते हैं और सर्दी में दूर . इसलिए गर्मी और सर्दी महसूस करते हैं .
गर्मी में जमीन के खाकी जर्रात गरम हो जाते हैं और चूँकि यह जर्रात पहाड़ों में कम होते हैं इसलिए वहां मुकाबलतन ठंडक होती है . लेकिन हदीस कहती है :-
“अबू हुरैरा आ हजरत सल्ल्लम से रवायत करते हैं की एक मर्तबा जहन्नम ने खुदा के पास शिकायत की कि मेरा दम घुट जाता है इसलिए मुझे सांस लेने की इजाज़त दीजिये .
अल्लाह ने कहा कि तुम साल में सिर्फ दो सांस ले सकते हो . इसलिए जहन्नम की एक सांस से मौसम गरम और दूसरी में सरद पैदा हो गया .
लेकिन दुनिया की गरमी व सर्दी से जहन्नम की गर्मी व सर्दी बहुत ज्यादा है .”
(बुखारी जिल्द -२ )
लेकिन यह समझ में नहीं आया कि हर साल गर्मियों के मौसम में वही इलाके इस सांस की लपेट में क्यूँ आते हैं जो ख़त ए अस्तवा ( भूमध्यरेखा ) के करीब हैं . और सारा यूरोप सायबेरिया ग्रीन लैंड और कनाडा क्यूँ बच जाते हैं .
और यह भी तो फरमाया होता कि गर्मियों में पहाड़ों पर क्यूँ गर्मी नहीं होते ? वहां तक इस सांस का असर क्यूँ नहीं पहुंचता ?
और सर्दियों में ख़त ए अस्तवा ( भूमध्यरेखा )का इलाका क्यूँ गरम रहता है ?
मालूम होता है कि जहन्नम ने जमीन को दो हिस्सों में बाँट रखा है .
सर्दियों में वो अहले यूरोप की खबर लेता है और गर्मियों में हमारी.
सच है इन्साफ अच्छी चीज है
یہ لیخ دو اسلام کتاب سے لیا گیا ہے