हाल-ए-कश्मीर

हाल-ए-कश्मीर

– डॉ. रामवीर

काश्मीर में होने वाले

रोज-रोज के उत्पातों की,

जड़ में बढ़ती हुई रकम है

उग्रवादियों के खातों की।

तुच्छ लाभ हानि पर आश्रित

वृथा राजनीतिक नातों की,

दुःखद कहानी है कश्मीरी

आततायियों के घातों की।

घोर उपेक्षा अगर न होती

कुछ गम्भीर सवालातों की,

तो शायद नौबत न आती

भयावह इन हालातों की।

जो बातों से नहीं मानते

उन्हें जरुरत है लातों की,

बन्द करो वाहियात प्रथाएँ

दुष्ट जनो से मुलाकातों की।

धीरज खत्म हुआ जाता है

सुन-सुन खबर खुराफातों की,

आखिर कोई तो हद होगी

ऐसी बेहूदा बातों की।

जिनके मन में कमी रही है

भारतीयता के भावों की,

वे ही तो बातें करते हैं

क्षेत्रवाद औ, अलगावों की।

जब चलती है बात पंडितों

को पहुँचाए गए घावों की,

तो स्वयमेव उघड जाती है

पोल सैक्युलरिस्टों के दावों की।

 

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