पण्डित लेखराम वैदिक मिशन की गुरुवर वेदग्य देव धर्मवीर जी को श्रद्धांजली

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ओउम
धर्मवीर जी का यूँ जाना ……….
हाय ! देव के दुर्विपाक से , ये क्या अपने साथ हो गया I
धर्मवीर जी का यूँ जाना, बहुत बड़ा आघात हो गया II
जिनको पाकर परोपकारिणी प्रगति पथ पर चल निकली थी I
परोपकारी पत्र लोकप्रिय , ऋषि उद्यान सनाथ हो गया …….
उनके जितने सद्गुण वाला व्यक्ति मिलना महा कठिन है I
इसीलिये आने वाला दिन , दिन न रहा , अब रात हो गया …
उनके अपनेपन की परिधि , इतनी विस्तृत और विशाल थी I
सत्यनिष्ठ , सिद्धांतनिष्ठ , हर व्यक्ति उनके साथ हो गया ……
लेकिन कपट कुटिलता रखकर सज्जनता का पहन मुखौटा
जो छलने टकराने आया, तर्क बुद्धि से मात हो गया ……

स्वाध्याय उनका सजीव था , वेद शाश्त्र भाषा पण्डित थे I
आयुर्वेद , व्याकरण उनको , तत्व रूप से ज्ञात हो गया …..
उनके प्रवचन लेखन दोनों वर्तमान में अद्वितीय थे I
सम्पादकीय पढ़ा जिसने भी , सबको आत्मसात हो गया
पता नहीं वो क्या नाता था उनका कितनों से ऐसा था ?
बढे बड़ों का धीरज टूटा , खुलकर अश्रुपात हो गया ….
यह सब कुछ लिखते लिखते “गुणग्राहक” तू भी रोया था I
महीनों तक यूँ ही रोयेगा ऐसा विकट विषाद हो गया …
भावी कल को आज समान देखने कि अन्तर्दृष्टि थी I
जिसके बल उनका हर निर्णय , आज सुखद संवाद हो गया
रवि सम ज्ञान प्रकाश हमें , मिलता संग शीतल सी ज्योत्सना के
सुखद सुहाना समय हाय क्यों , सहसा उल्कापात हो गया
अधिक क्या कहूँ सद्गुण प्रेरक , सज्जनता का पोषक जीवन
कल जो हम सबका हिस्सा था , आज पुरानी बात हो गया I I
राम निवास गुणग्राहक

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