Category Archives: Islam

हरियाणा: हिन्दू लड़कों को नमाज पढ़ने के लिए किया मजबूर, मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी गाज

हरियाणा: हिन्दू लड़कों को नमाज पढ़ने के लिए किया मजबूर, मुस्लिम शिक्षकों पर गिरी गाज

हरियाणा के मेवात में दो हिंदू बच्चों को जबरन नमाज पढ़वाने का आरोप है। यह आरोप वहां के एक स्कूल के तीन टीचरों पर लगा है।

हरियाणा: मेवात में हिंदू बच्चों को नमाज पढ़ने के लिए कहा गया। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

हरियाणा के मेवात में दो हिंदू बच्चों को जबरन नमाज पढ़वाने का आरोप है। यह आरोप वहां के एक स्कूल के तीन टीचरों पर लगा है। जिसके बाद दो टीचरों को सस्पेंड कर दिया गया है और एक का ट्रांसफर हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, वहां मेवात विकास एजेंसी (एमडीए) कुछ सरकारी स्कूल चलाती है। उनमें से ही एक स्कूल में ऐसा हुआ। जिस स्कूल में ऐसा होने की बात कही जा रही है उसमें 207 बच्चे पढ़ते हैं। 22 जुलाई को हिंदू परिवार ने डिप्टी कमिश्नर मणि राम शर्मा के पास जाकर शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद उन तीन टीचरों पर स्कूल को एक्शन लेना पड़ा।

टीचर इंचार्ज नवीन शक्ति के मुताबिक, स्कूल के दूसरे बच्चों ने भी बताया कि टीचर दोनों हिंदू बच्चों को इस्लाम के तौर-तरीकों से रहने और नमाज पढ़ने का दबाव बनाते थे। स्कूल के बाकी बच्चों के मुताबिक, उन तीन टीचरों ने दोनों हिंदू बच्चों से धर्म परिवर्तन करने के लिए भी कहा था। जिन दो बच्चों द्वारा यह आरोप लगाया गया है उनमें से एक आठवीं और दूसरा नौंवी क्लास में है।

मामले की जांच के लिए फिलहाल एक कमेटी  बना दी गई है। कमेटी में जिला शिक्षा अधिकारी समेत कुल तीन लोग हैं। मेवात विकास एजेंसी के प्रोजेक्ट ऑफिसर ने कहा कि परिवार की शिकायत मिलते ही एक्शन लिया गया और टीचरों को निकाल दिया गया। जल्द ही सारी सच्चाई सबके सामने होगी। दो को हटाने और एक के ट्रांसफर के बाद स्कूल में फिलहाल पांच टीचर बचे हैं।
source :http://www.jansatta.com/rajya/haryana-mewat-muslim-teachers-forced-hindu-boys-to-offer-namaz-suspended/389635/

हदीस : हजामत: मुहम्मद के केश

हजामत: मुहम्मद के केश

कुरबानी के बाद तीर्थयात्रा का अनुष्ठान पूरा हो जाता है, और हाजी हजामत बनवा लेता है और नाखून कटवा लेता है तथा तीर्थयात्रा के वस्त्र उतार देता है। हजामत दाहिनी तरफ से शुरू की जानी चाहिए। अनम बतलाते हैं कि रसूल-अल्लाह ”जमरा गये और उन्होंने उस पर कंकड़ फैंके। उसके बाद वे मीना में अपने डेरे पर गये और जानवर की कुरबानी दी। फिर उन्होंने एक नाई को बुलवाया और पना दाहिना बाजू उसकी तरफ करके हजामत करने दी। उसके बाद बायां बाजू घुमाया। फिर उन्होंने वे बाल लोगों को दे दिये“ (2291)। वे बाल इस्लाम के लिए गरिमामय आराध्य बन गये।

 

तीर्थयात्रा पूरी हो चुकी है। फिर भी तीर्थयात्री को मक्का में तीन दिन और बिताने चाहिए ताकि अनुष्ठान के हड़बड़ी भरे चार दिनों के बाद वह आराम कर सके। मक्का छोड़ने के पहले उसे एक बार फिर काबा के सात चक्कर लगाने चाहिए और मीना के शैतानी खंभों पर सात बार पत्थर फैंकने चाहिए। घर लौटने के पहले मुहम्मद के मकबरे पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उसे मदीना जाना चाहिए।

author : ram swarup

HADEES : DEPORTMENT TOWARD ONE�S WIVES

DEPORTMENT TOWARD ONE�S WIVES

Ticklish problems arise if one has more than one wife and if one marries often.  One of the problems, for example, is how many nights one should spend with one�s newly wed wife?  The answer is seven days if she is a virgin, and three days if she is a widow (3443-3449).

Umm Salama, one of the wives of Muhammad, tells us that when Muhammad married her, he spent three nights with her.  When he intended to leave, she �caught hold of his garment.� But the Prophet told her: �If you wish I can stay with you for a week, but then I shall have to stay for a week with all my wives� (3443-3445).

Though a husband should divide his days equally among all his wives, one wife could make over her day to another.  AhAdIs 3451-3452 tell us that when Sauda became old, she made over her day to �Aisha.  So Allah�s Messenger �allotted two days to �Aisha� (3451).

But sometimes the Prophet himself would ask a wife to forgo her day.  One wife told him: �If I had the option in this I would not have allowed anyone to have precedence over me� (3499).

Eventually the rule of rotation was withdrawn altogether by a special dispensation of Allah: �Thou may defer the turn of any of them that thou pleasest, and thou may receive any thou pleasest; and there is no blame in thee if thou invite one whose turn thou hast set aside� (QurAn 33:51).  Allah is very accommodating.  �Aisha, for whose benefit He really spoke, taunted Muhammad: �It seems to me that your Lord hastens to satisfy your desire� (3453).

author : ram swarup

मोसुल से भागने के लिए ISIS आतंकी ने धरा महिला का रूप, बस दाढ़ी-मूंछ साफ करना भूल गया

मोसुल से भागने के लिए ISIS आतंकी ने धरा महिला का रूप, बस दाढ़ी-मूंछ साफ करना भूल गया

isis terrorist trying to flee mosul dress up like woman with make up, but forgot to clean his beard and moustache

इराकी फौज ने महिला का वेश बनाकर भागने की कोशिश कर रहे इस आतंकी की तस्वीर जारी क…
बगदाद
मोसुल में इस्लामिक स्टेट (ISIS) की हार के बाद यहां छुपे आतंकवादी अब भागने की कोशिश कर रहे हैं। न पकड़े जाने के लिए ये आतंकवादी कई तरह की रणनीति बना रहे हैं। इनमें से कुछ तरीके तो काफी दिलचस्प हैं। अभी हाल ही में इराकी फौज ने एक ऐसे आतंकवादी को पकड़ा जो कि औरत का वेश बनाकर भागने की कोशिश कर रहा था। इराकी सेना की आंखों में धूल झोंकने के लिए इस जिहादी ने महिलाओं की तरह मेकअप किया। काजल-लिपस्टिक लगाई, पाउडर लगाया, लेकिन उससे बस एक चूक हो गई। वेश बदलने की इस मशक्कत में इस आतंकवादी ने कई तरह की चालाकियां दिखाई, लेकिन अपनी दाढ़ी और मूंछ को शेव करना भूल गया। इसी दाढ़ी और मूंछ ने उसे पकड़वा दिया।

डेली मेल ने अपनी एक खबर में इस दिलचस्प वाकये की जानकारी दी है। यह ISIS आतंकवादी मोसुल से भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसकी योजना सफल नहीं हो सकी। महिलाओं के कपड़े पहनकर और पूरा मेकअप करने के बाद भी वह अपनी दाढ़ी-मूंछ साफ करने जैसी बुनियादी बात भूल गया और पकड़ा गया। इराकी फौज ने उसे गिरफ्तार करने के बाद उसकी तस्वीर जारी की है। तस्वीर में आप इस आतंकवादी के चेहरे पर पुता हुआ पाउडर, आंखों में काजल व आईशैडो और होंठों पर लगा लिपस्टिक देख सकते हैं। महिलाओं की तरह दिखने के लिए उसने अपने चेहरे पर कृत्रिम तिल बनाने की भी कोशिश की। इतना सब करने के बाद वह अपनी दाढ़ी और मूंछ हटाना भूल गया। उसकी यह गलती उसपर भारी पड़ी और इराकी सेना ने उसे पकड़ लिया।

इराकी सेना ने महिलाओं का वेश धर भागने की कोशिश कर रहे कुछ अन्य आतंकियों की तस्वीरें भी जारी की हैं….

इराकी सेना ने महिलाओं का वेश धरकर भागने की कोशिश कर रहे कई अन्य ISIS आतंकियों की भी तस्वीरें जारी की हैं। कुछ आतंकियों ने महिलाओं की तरह दिखने के चक्कर में पैडेड ब्रा भी पहनी हुई है। 2014 में मोसुल फतेह करने के बाद ही ISIS के आतंकी सरगना अबू-बकर बगदादी ने खुद को दुनियाभर के मुसलमानों का नया खलीफा घोषित किया था। उसने मोसुल को अपनी राजधानी बनाया। अक्टूबर 2016 में मोसुल पर दोबारा कब्जा करने के लिए इराकी फौज ने अमेरिकी सेना के नेतृत्व में यहां एक सैन्य अभियान शुरू किया। 6 महीने तक चले लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार इराकी सेना को मोसुल में जीत मिली। ISIS की तो हार हो चुकी है, लेकिन इसके कई आतंकवादी अब भी जिंदा हैं और आम लोगों के बीच मिलकर और अपनी पहचान छुपाकर खुद को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। एक समय में बेहद खूबसूरत और संपन्न माना जाने वाला मोसुल अब मलबे के ढेर में तब्दील हो गया है।

source : http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/isis-terrorist-trying-to-flee-mosul-dress-up-like-woman-with-make-up-but-forgot-to-clean-his-beard-and-moustache/articleshow/59750248.cms

हदीस : पीना (पान)

पीना (पान)

मजहबी अनुष्ठान के अंग के रूप में मुहम्मद ने जमजम के कुएं का पानी भी पिया था। अब्द अल-मुतालिब के कबीले (जो मुहम्मद का अपना कबीला भी था) में आकर वे बोले-”ऐ बनी अब्द-अल मुतालिब ! पानी खींचों। यदि मुझे आशंका न होती कि दूसरे लोग पानी पिलाने का यह हक तुम से छीन लेंगे, तो मैं भी तुम्हारे साथ मिलकर पानी खींचता। इस पर उन्होंने मुहम्मद को एक बाल्टी दी और मुहम्मद ने उससे पानी पिया“ (2803)। पैगम्बर के जीवनीकार कातिब अल-वाकिदी हमें आगे एक ऐसा ब्यौरा देते हैं, जो (पैगम्बर के प्रति) श्रद्धाविहीन लोगों द्वारा गंदा माना जायेगा। मुहम्मद ने कुछ पानी लिया, फिर पानी के बर्तन में अपना मुंह धोया और आदेश दिया कि उसमें जो पानी बचा हो, वह कुएं में वापस डाल दिया जाए। कुएं को आशीष देने का भी उनका एक तरीका था-कुएं में थूकना। अहादीस में कई ऐसे कुओं का उल्लेख है (तबकात किताब 2, पृष्ठ 241-244)।

 

वे अपने प्रिय पेय नवीज को जो एक सौम्य पेय था भूले नहीं थे। यद्यपि उन्हें जो नवीज दिया गया, वह अनेक हाथों द्वारा गंदला कर दिया गया था, तब भी उन्होंने साफ और शुद्ध नवीज पीने का प्रस्ताव रद्द करते हुए, उसे ही पी लिया। हर पीढ़ी के कट्टर तीर्थयात्रियों ने इस रिवाज को जारी रखा है।

author : ram swarup

HADEES : CAST A GLANCE AT THE WOMAN YOU WANT TO MARRY

CAST A GLANCE AT THE WOMAN YOU WANT TO MARRY

It is permissible to cast a glance at the woman one wants to marry, from �head to foot.� A believer came to Muhammad, informing him that he had contracted a marriage with an ansAr woman and wanted him to contribute toward the dowry payment.  �Did you cast a glance at her, for there is something in the eyes of the AnsArs,� Muhammad asked.  The man replied: �Yes.� �For what dower did you marry her,� Muhammad inquired.  �For four Uqiyas,� the man replied.  �For four Uqiyas?  It seems as if you dig out silver from the side of the mountain (that is why you are prepared to pay so much dower).  We have nothing which we should give you.  There is a possibility that we may send you to an expedition where you may get booty.� The man was sent on an expedition marching against the BanU �Abs (3315).

But this permission actually originated in a different incident.  An Arab woman named �Umra, the daughter of one Jaun, �was mentioned before Allah�s Messenger.� By now the Prophet was an important man in Arab politics, so he commanded an official of his named AbU Usaid to send a messenger to the woman.  She was brought and she �stayed in the fortresses of BanU SA�idah.� Allah�s Messenger went out until he came to her to give �her a proposal of marriage.� She was �sitting with her head downcast.� They saw each other, and Muhammad talked to her.  She told him: �I seek refuge with Allah from you.� Meanwhile the Prophet had arrived at his own conclusion.  He told her: �I have decided to keep you away from me.� Then Muhammad retired with his host and told him: �Sahl, serve us drink� (4981).  

It is in this hadIs that one finds it permissible to cast a glance at the woman whom one intends to marry (note 2424).

author : ram swarup

‘जन्नत की कुंवारी हूरों के लिए’ जेब में अंडरगार्मेंट्स रख आत्मघाती हमला करने जाते हैं ISIS जिहादी

‘जन्नत की कुंवारी हूरों के लिए’ जेब में अंडरगार्मेंट्स रख आत्मघाती हमला करने जाते हैं ISIS जिहादी

many isis suicide bombers in syria were found with women’s undergarments in their pockets, for the virgins they would meet in paradise

<p>मोसुल में हार के बाद अब ISIS सीरिया में अपने सबसे मजबूत गढ़ रक्का में घिरा ह…
दमिश्क
सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ चल रही जंग से जुड़ी एक खबर आपको हैरान कर देगी। सेना के अधिकारियों ने यहां ISIS के लिए लड़ रहे आतंकवादियों से जुड़ी एक ऐसी बात का खुलासा किया, जिसे जानकर आपको ताज्जुब होगा। मिलिटरी अधिकारियों ने बताया कि कई आत्मघाती हमलावरों के कपड़ों के अंदर बनी जेबों में महिलाओं के अंतर्वस्त्र मिले। सीरियाई सेना द्वारा गिरफ्तार किए गए ऐसे कई जिहादियों ने पूछताछ के दौरान बताया कि वे इन अंडरगारमेंट्स को उन कुंवारी हूरों के लिए ले जा रहे हैं, जो उन्हें जन्नत में मिलेंगी। इससे मालूम चलता है कि इन आतंकवादियों का इस तरह ब्रेनवॉश किया जाता है कि वे ‘जन्नत में हूरों’ से मिलने की कल्पना करते हुए आत्मघाती हमला करने जैसे दुस्साहस को अंजाम देते हैं।

सीरिया में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के खिलाफ जारी जंग में लड़ रहे कई सीरियाई कमांडर्स और जनरल्स का कहना है कि 30 दिन के अंदर इस जंग का फैसला हो जाएगा। उनके मुताबिक, ISIS को यहां हराने के लिए अब केवल 30 दिन और चाहिए। इन जनरल्स का कहना है कि यहां ISIS की हालत उस पके हुए केले की तरह हो गई है, जो कि अपने छिलके से बाहर आ गया है। इनके मुताबिक, अब केवल ISIS का बाहरी छिलका ही बचा है, बाकी जो था वह सब खत्म हो गया।
सीरिया की सेना यहां रूस के साथ मिलकर ISIS के खिलाफ मोर्चा संभाल रही है। इराक के मोसुल में हारने के बाद यहां ISIS के पास रक्का आखिरी मजबूत गढ़ बचा है। ISIS के ऊपर जैसे-जैसे हार हावी हो रही है, वैसे-वैसे उसकी ओर से किए जाने वाले आत्मघाती हमलों में तेजी आई है। अल-नुसरा ISIS का ही एक धड़ा है, लेकिन सेना का मानना है कि अल-नुसरा और अल-कायदा के आतंकवादी ज्यादा बेहतर तरीके से प्रशिक्षित होते हैं। साथ ही, उन्हें आधुनिक हथियार और ऐंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल चलाना भी काफी अच्छे से आता है। अल-नुसरा और ISIS को लेकर सेना की भावना अलग-अलग है। इदलिब में लड़ रहे अल-नुसरा के लिए उनके मन में एक तरह की जिज्ञासा है, जबकि ISIS के प्रति उनके मन में घृणा है।

source : http://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/many-isis-suicide-bombers-in-syria-were-found-with-womens-undergarments-in-their-pockets-for-the-virgins-they-would-meet-in-paradise/articleshow/59785055.cms?utm_source=facebook.com&utm_medium=referral&utm_campaign=isis270717

हदीस : जानवरों की कुर्बानी

जानवरों की कुर्बानी

इसके बाद आती है ईदुल-अज़हा की कुरबानी। हाजी एक बकरी, या एक भेड़ या एक गाय या एक ऊंट की कुरबानी दे सकता है। ”अल्लाह के रसूल ने आयशा की ओर से एक गाय की कुरबानी दी थी“ (3030)।

 

एक गाय या ऊंट की कुरबानी में सात लोगों की शिरकत की इजाजत है (3024-3031)। ऊंट की कुरबानी देते समय हाजी को अपना ऊंट ”घुटनों के बल“ नहीं बैठाना चाहिए, वरन् उसे जकड़ी हुई दशा में खड़ा रख कर जिवह करना चाहिए, ”जैसा कि पाक पैगम्बर के सुन्ना“ का निर्देश है (3032)। उसकी अगली बांई टांग को पीछे की टांगों के साथ कस कर बांध देना चाहिए। गायों और बकरियों को लिटाकर कुरबान करना चाहिए।

 

जे व्यक्ति हज पर न जा सके वह एक जानवर कुरबानी के वास्ते अल-हरम में भेज सकता है और इस प्रकार पुण्य कमा सकता है। आयशा बतलाती हैं-”अल्लाह के रसूल के कुरबानी वाले जानवरों के लिए मैंने अपने हाथ से मालाएं गूंथी, और फिर उन्होंने जानवरों पर निशान लगाए, उन्हें मालाएं पहनाई और तब उन्हें काबा की ओर भेज दिया और स्वयं मदीना में रुके रहे, और उनके लिए वह कुछ भी वर्जित नहीं किया, जो पहले उनके वास्ते जायज़ रहा था“ (3036)।

 

मुहम्मद की समृद्धि बढ़ने के साथ-साथ उनके द्वारा की जाने वाली कुरबानियों का परिमाण भी बढ़ता गया। उनके जीवनीकार बतलाते हैं कि जब वे छठे साल में उमरा की तीर्थयात्रा पर गये, तब उन्होंने हुडैबा में सत्तर ऊंटों की कुरबानी दी। जाबिर हमें बतलाते हैं कि दसवें साल में विदाई की तीर्थयात्रा में ”कुरबानी के जानवरों की कुल तादाद, अली द्वारा यमन (जहां वे बनी नखा पर चढ़ाई करने गये थे) से लाये गये और पैगम्बर द्वारा लाये गये जानवरों को मिलाकर, एक-सौ हो गई थी“ (2803)। उसी हदीस में आगे चल कर हमें बतलाया गया है कि मुहम्मद ”फिर कुरबानी की जगह पर गये और उन्होंने 63 ऊंट अपने हाथों कुरबान किये। बाकी उन्होंने अली को सौंप दिये, जिन्होंने उन्हें कुरबान किया। …. फिर उन्होंने आदेश दिया कि कुरबान किये गये हर एक जानवर के गोश्त का एक-एक टुकड़ा एक बर्तन में एकत्र किया गया। उसे पकाये जाने के बाद, उन दोनो (अली और मुहम्मद) ने उसमें से कुछ मांस निकाला और उसका शोरबा पिया।“

 

मुहम्मद ने अपने अनुयायियों से कहा-”मैंने यहां पर जानवर कुरबान किये हैं और पूरा मीना कुरबानी की जगह है अतः अपनी-अपनी जगहों पर अपने-अपने जानवरों की कुरबानी दो“ (2805)।

 

यहूदियों के आराध्यदेव याहू का मंदिर तो वस्तुतः एक कत्लखाना ही था। फिर भी याहू ने घोषणा की थी कि वह ”करुणा चाहता है, कुरबानी नहीं“ (होजिया 6/6)। लेकिन मुहम्मद के अल्लाह ऐसा कोई भाव व्यक्त नहीं करते। क्योंकि इस्लाम प्रधानतः मुहम्मदवाद है, इसीलिए पैगम्बर द्वारा कुरबानी देने के नतीजों में से एक नतीजा यह निकला कि इस्लाम में कुरबानी करना एक पवित्र विधान बन गया। इस प्रकार हम इस्लाम में पशुवध के विरुद्ध अन्तरात्मा के उदात्त भाव से उपजा ऐसा एक भी स्पन्दन नहीं पाते, जैसा कि अधिकांश संस्कृतियों में किसी न किसी मात्रा में देखने को मिलता है।

author : ram swarup

 

HADEES : CAPTIVE WOMEN

CAPTIVE WOMEN

Adultery and fornication are punished according to Muhammad�s law, but not if you commit them with the �women that your right hands possess,� that is, those women, whether married or unmarried, who are captured by the Muslims injihAd, or holy war.  A QurAnic verse fortifies this position: �Also prohibited are women already married except those whom your right hands possess� (4:24).

AhAdIs 3432-3434 tell us that this verse descended on the Prophet for the benefit of his Companions.  AbU Sa�Id reports that �at the Battle of Hunain Allah�s Messenger sent an army to AutAs. . . . Having overcome them [the enemies] and taken them captives, the Companions of Allah�s Messenger seemed to refrain from having intercourse with captive women because of their husbands being polytheists.  Then, Allah, Most High. sent down [the above verse]� (3432).

The followers had a feeling of delicacy in the matter, based on an old moral code, but Allah now gave a new one.

author : ram swarup

हदीस : कंकड़ फैंकना

कंकड़ फैंकना

एक अन्य महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है रमियुररिजाम अर्थात् कंकड़ फैंकना। दसवें दिन, जो ”कुरबानी का दिन“ भी है, तीर्थयात्री जमरात-अल-अकाबा पर, जिसे बड़ा शैतान (शैतानुल कबीर) भी कहा जाता है, सात कंकड़ फैंकते हैं। यह करते समय, वे गाते हैं-”अल्लाह के नाम पर जो सर्वशक्तिमान है, और शैतान से नफरत के कारण तथा उस पर लानत लाने के लिए मैं यह करता हूँ।“ कई एक पंथमीमांसाओं में अल्लाह और शैतान का नाता अटूट रहता है।

 

यह मजहबी अनुष्ठान उस पुरातन घटना की स्मृति में किया जाता है, जब शैतान क्रमशः आदम, इब्राहिम और इस्माइल के सामने पड़ा था और जिब्रैल द्वारा सिखलाई गई इस आसान विधि से-सात कंकड़ फैंकने से दूर भाग गया था। मीना में स्थित तीन खम्बे, उन तीन अवसरों के प्रतीक हैं, जब यह घटित हुआ था। इसीलिए तीर्थयात्री तीनों में से प्रत्येक पर सात कंकड़ फैंकता है।

 

कंकड़ फैंकने से मिलने वाले पुण्य के विषय में कंकड़ों के आकार तथा उन की संख्या और उनके फैंके जाने के सर्वोत्तम समय के बारे में अनेक अहादीस है। कंकड़ छोटे होने चाहिए-”मैंने अल्लाह के रसूल को पत्थर फैंकते देखा, जैसे छोटे रोड़ों की बौछार हो“ (2979)। फैंकने का सर्वोत्तम समय है कुरबानी के रोज़ सूर्योदय के बाद-”अल्लाह के रसूल ने जमरा पर महर के रोज सूर्योदय के बाद कंकड़ फैंके थे, और उसके बाद जुलहिजा के 11वें, 12वें और 13वें रोज़ सूरज ढलने के बाद“ (2980)। उनकी संख्या विषम होनी चाहिए। पैगम्बर कहते हैं-”नित्यकर्म से निपटने के बाद गुप्त अंगों को साफ करने के लिए विषम संख्या में पत्थर चाहिए, और जमरान पर फैंके जाने वाले कंकड़ों की संख्या भी विषम (सात) होनी चाहिए, और अल-सफा एवं अल-मरवा के फेरों की संख्या भी विषम (सात) होनी चाहिए, और काबा के फेरों की संख्या विषम (सात) होनी चाहिए“ (2982)।

author : ram swarup