मित्रो जैसे की पिछली दो पोस्ट से ये कारवां चलता आ रहा है की सत्य को सामने रखा जाए – और असत्य को दूर फेक दिया जाए – उसी कड़ी में पेश है – एक और सत्य की खोज।
हजरत दाऊद का चरित्र जो बाइबिल में एक कामांध, कामपिपासु, स्त्रियों का अत्यधिक सेवक, और निर्लज्ज आदमी – जिसने अपनी कामपिपासा को शांत करने हेतु अपने खुद के एक कर्तव्यनिष्ठ, सच्चे, वीर, वफादार योद्धा को जान से मरवा दिया ताकि उसकी बीवी को हथिया सके। उसके साथ रंगरलियां मना सके।
जिसकी मानसिकता ऐसी थी उसकी संतान कैसी होगी ? क्या आपने कभी सोचने का पर्यत्न किया ?
आइये आज प्रयत्न करते हैं सत्य को खोजने का
जैसे की हम सब जानते हैं –
बाप पे पूत,
नसल पे घोडा
बहुत नहीं, तो थोड़ा थोड़ा।
ये पोस्ट इसी विषय को चरितार्थ करती है। आपको पिछली पोस्ट में हजरत दाऊद जैसे पैगम्बर के बारे में बाइबिल क्या कहती है – उससे रूबरू करवाया था।
अब थोड़ा मुखातिब हुआ जाये हजरत दाऊद के संतानो से।
हजरत दाऊद का एक बेटा था – अबशालोम
हजरत दाऊद का एक और बेटा था – अम्नोन
हजरत दाऊद की एक बेटी – तामार जो अबशालोम की बहिन थी।
यानी तीनो एक ही पिता से उत्पन्न भाई बहिन थे।
अब हुआ क्या ?
हुआ ये की भाई का दिल अपनी बहन पर आ गया
यानी दाऊद के एक बेटे अम्नोन का दिल अपनी बहन तामार पर आ गया।
1 इसके बाद तामार नाम एक सुन्दरी जो दाऊद के पुत्र अबशालोम की बहिन थी, उस पर दाऊद का पुत्र अम्नोन मोहित हुआ।
(2 शमूएल, अध्याय 13)
अब दिल आ जाये तो क्या करे ? वही होता है – जो आशिक़ों का हाल होता है – खाना पीना छूट जाना – भूख प्यास न लगना, बीमार पड़ जाना आदि आदि। वही अम्नोन के साथ हुआ।
2 और अम्नोन अपनी बहिन तामार के कारण ऐसा विकल हो गया कि बीमार पड़ गया; क्योंकि वह कुमारी थी, और उसके साथ कुछ करना अम्नोन को कठिन जान पड़ता था।
(2 शमूएल, अध्याय 13)
अब क्या करे अम्नोन ? सो अपने दोस्त की सलाह ली।
3 अम्नोन के योनादाब नाम एक मित्र था, जो दाऊद के भाई शिमा का बेटा था; और वह बड़ा चतुर था।
4 और उसने अम्नोन से कहा, हे राजकुमार, क्या कारण है कि तू प्रति दिन ऐसा दुबला होता जाता है क्या तू मुझे न बताएगा? अम्नोन ने उस से कहा, मैं तो अपने भाई अबशालोम की बहिन तामार पर मोहित हूं।
5 योनादाब ने उस से कहा, अपने पलंग पर लेटकर बीमार बन जा; और जब तेरा पिता तुझे देखने को आए, तब उस से कहना, मेरी बहिन तामार आकर मुझे रोटी खिलाए, और भोजन को मेरे साम्हने बनाए, कि मैं उसको देखकर उसके हाथ से खाऊं।
(2 शमूएल, अध्याय 13)
बस जी बन गया काम – अंधे को क्या चाहिए – दो आँखे –
हजरत दाऊद जो की पैगम्बर थे – यहोवा इनसे बात करता था – पता नहीं यहोवा कहाँ गुम हुआ जो ऐसी जरुरत की बताने वाली बात – अथवा पाप को होने से बचा भी न पाया और न हजरत दाऊद को बता पाया – शायद यहोवा भी इस काम को पसंद करता हो ?
खैर हजरत दाऊद ने खबर भिजवा दी – तामार को भेजो – अम्नोन खाना खाना चाहता है – पता नहीं पैगम्बरी ने साथ क्यों न दिया – जो भविष्य की बात ऐसे पैगम्बर चुटकी में जान लेते हैं – इस पाप से अनभिज्ञ रहे ? हो सकता है हजरत दाऊद इस काम को मन से समर्थन दे रहे हो ?
खैर जो भी हो – तामार आ गयी अपने बीमार भाई को ठीक करने के लिए। धन्य है ऐसी बहिन जो अपने भाई की बिमारी की खबर मिलते ही पधार गयी – और पूरी बना दी।
7 और दाऊद ने अपने घर तामार के पास यह कहला भेजा, कि अपने भाई अम्नोन के घर जा कर उसके लिये भोजन बना।
8 तब तामार अपने भाई अम्नोन के घर गई, और वह पड़ा हुआ था। तब उसने आटा ले कर गूंधा, और उसके देखते पूरियां। पकाईं।
मगर अम्नोन के मन में जो पाप चल रहा था – उससे वो बेचारी अबला बहिन अनजान थी – उसे तो केवल अपने भाई के ठीक होने की जल्दी थी – इसलिए भाई को अकेले – एकांत कमरे में भी भोजन करवाने को राजी हो गयी।
तब उसने थाल ले कर उन को उसके लिये परोसा, परन्तु उसने खाने से इनकार किया। तब अम्नोन ने कहा, मेरे आस पास से सब लोगों को निकाल दो, तब सब लोग उसके पास से निकल गए।
10 तब अम्नोन ने तामार से कहा, भोजन को कोठरी में ले आ, कि मैं तेरे हाथ से खाऊं। तो तामार अपनी बनाई हुई पूरियों को उठा कर अपने भाई अम्नोन के पास कोठरी में ले गई।
भाई हमने तो सुना है – स्त्रियों में एक सेंस होती है – जो पहचान जाती है की कोई उसके साथ जो कर रहा है – उसमे उसकी मानसिकता अच्छी है या बुरी है। मगर बेचारी तामार इतनी भोली थी – की अपने भाई की बुरी बात को पहिचान तक न सकी।
11 जब वह उन को उसके खाने के लिये निकट ले गई, तब उसने उसे पकड़कर कहा, हे मेरी बहिन, आ, मुझ से मिल।
12 उसने कहा, हे मेरे भाई, ऐसा नहीं, मुझे भ्रष्ट न कर; क्योंकि इस्राएल में ऐसा काम होना नहीं चाहिये; ऐसी मूढ़ता का काम न कर।
13 और फिर मैं अपनी नामधराई लिये हुए कहां जाऊंगी? और तू इस्राएलियों में एक मूढ़ गिना जाएगा। तू राजा से बातचीत कर, वह मुझ को तुझे ब्याह देने के लिये मना न करेगा।
14 परन्तु उसने उसकी न सुनी; और उस से बलवान होने के कारण उसके साथ कुकर्म करके उसे भ्रष्ट किया।
और तामार जैसी सुशीला, नेक बहिन के साथ – हजरत दाऊद के पुत्र अम्नोन ने कुकर्म कर ही दिया। उसे भ्रष्ट करके ही माना।
छी ! छी ! छी !
कितनी घिनौनी हरकत थी – अपनी ही बहिन के साथ कुकर्म करना – मगर देखने वाली बात है – हजरत दाऊद जो एक महान पैगम्बर हुए हैं – उनके घर में – उनके अपने ही खून – अपने ही बेटे ने – ऐसा जलील काम किया।
क्या ये पाप कृत्य नहीं था ?
क्या हजरत दाऊद को अपनी पैगम्बरी के लिए – ऐसे कुपुत्र को दंड नहीं देना चाहिए था ?
क्या अपनी बेटी के लिए हजरत दाऊद को कोई सहानुभूति नहीं थी ?
क्या इसे पैगम्बरी कह सकते हैं ?
जो पैगम्बर अपने घर में हो रहे पाप को नहीं रोक सका ?
जो पैगम्बर अपने पुत्र को सही शिक्षा नहीं दे सका ?
जो पैगम्बर अपनी पुत्री की रक्षा नहीं कर सका ?
जो यहोवा सब कुछ जानने वाला है – पैगम्बरों से बात करता है – भविष्य की बात
बताता है – राष्ट्र को बनवाता और बिगड़वाता है –
वो अपने पैगम्बर की पुत्री की लाज न बचा सका ?
क्या ये बाइबिल धर्म की शिक्षा देती है ?
अगर देती है –
तो ये अधर्म करने वाले पैगम्बर और उनके पुत्रो को दंड का विधान क्यों नहीं ?
सत्य को जानो ईसाई मित्रो !
मनुष्य जीवन का लाभ उठाओ।
सत्य को जानो और मानो।
आओ लौट चले सत्य की और
वेद और विज्ञानं की और
मनुष्यता की और
“कृण्वन्तो विश्वमार्यम”
नमस्ते