बन्दी बनाई गई औरतें
मुहम्मद के अनुसार परस्त्री-गमन और कंवारों के साथ समागम दंडनीय है। लेकिन अगर तुम ”उन औरतों के साथ मैथुन करते हो तो तुम्हारे दाहिने हाथ में है“ तो यह विहित है। अर्थात् उन औरतों के साथ जो मुसलमानों द्वारा जिहाद में बन्दी बनायी गयी हों, वे चाहे विवाहित हो या अविवाहित, मैथुन करना अनुचित नहीं है। कुरान की एक आयत इस मत को मज़बूत कर देती है। ”शादीशुदा औरतें भी हराम हैं, सिवाय उनके जो तुम्हारे दाहिने हाथ (कब्जे) में आ जायें“ (4/24)।
अहादीस (3432-3434) हमें बतलाती हैं कि उपरोक्त आयत पैगम्बर पर उनके साथियों के फायदे के लिए उतरी थी। अबू सईद सुनाते हैं-”हुनैन की लड़ाई में रसूल-अल्लाह ने औतास की ओर एक सेना भेजी …. (दुश्मनों को) जीतने और उन्हें बन्दी बनाने के बाद रसूल-अल्लाह के साथियों ने कैद की गयी औरतों के साथ मैथुन करना नहीं चाहा, क्योंकि उन औरतों के पति बहुदेववादी थे। तब अल्लाह ने, जो सबसे ऊंचा है, (उपरोक्त आयत) उतारी“ (3432)।
अपनी पुरानी नैतिक परम्परा के आधार पर मुहम्मद के अनुयायी लोगों में शिष्टता की भावना बची थी। पर अल्लाह ने उन्हें एक नयी नैतिक संहिता दे दी।
जिस औरत से तुम शादी करना चाहते हो उस पर एक नज़र डालो
जिस औरत से शादी की चाह हो उस पर ”सर से पांव तक“ एक नजर डालने की इज़ाज़त है। एक मोमिन मुहम्मद के पास आया और कहने लगा कि उसने एक अंसार औरत से शादी तय की है और दहेज चुकाने में उनकी मदद चाहता है। मुहम्मद ने पूछा-”क्यार तुमने उस पर एक नजर डाली है, क्योंकि अंसारों की आंखों में कुछ बात है ?“ उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हां“। मुहम्मद ने पूछा, ”कितना दहेज देकर शादी की ?“ उस आदमी ने जवाब दिया, ”चार ऊकिया देकर।“ मुहम्मद बोले-”चार ऊकिया ? लगता है जैसे तुमने पहाड़ की बाजू से चांदी खोद निकाली है। (इसलिए तुम इतना ज्यादा दहेज देने को तैयार हो)। तुम्हें देने के लिए हमारे पास कुछ नहीं है। यही एक सम्भावना है कि हम तुम्हें एक चढ़ाई पर भेज दें, जहां तुम्हें लूट का माल मिल जावे।“ उस व्यक्ति को वनू अब्स के खिलाफ चढ़ाई पर भेज दिया (3315)।
किन्तु यह इजाजत वस्तुतः एक अन्य घटना के समय दी गयी थी। उमरा नाम की एक अरब औरत, जाॅन नाम के व्यक्ति की बेटी थी। उस का ”चर्चा रसूल-अल्लाह के सामने किया गया।“ पैगम्बर उस समय तक अरब राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन चुके थे। इसलिए उन्होंने अबू उसैद नाम के अपने एक कर्मचारी को उस औरत के पास एक दूत भेजने का आदेश दिया। वह औरत लायी गयी और वह “वनू साइदा के किले में ठहरी।“ अल्लाह के रसूल बाहर गए और फिर भीतर जाकर उन्होंने उससे ”विवाह का प्रस्ताव“ किया। वह ”अपना सर नीचे झुकाये बैठी थी।“ दोनों ने एक दूसरे को देखा और मुहम्मद ने उससे बातचीत की। वह बोली-”मैं तुमने बचने के लिए अल्लाह की शरण लेती हूं।“ तब तक पैगम्बर खुद एक फैसला कर चुके थे। उन्होंने उससे कहा-”मैंने तुम्हें अपने से दूर रखने का फैसला किया है।“ इसके बाद मुहम्मद अपने मेजवान के साथ जा बैठे और उससे बोले, “सह्ल ! हमें कुछ पिलाओ“ (4981)।
इस हदीस में ही शादी के लिए चुनी गई किसी औरत पर एक नजर डालने की इज़ाज़त की गयी है (टि0 2424)।
author : ram swarup