अहिंसाको दर्शन-वैदिक संस्कृति..

ओ३म्….

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नेपाल आदिकाल देखि नै सत्य सनातन वैदिक धर्म-संस्कृति तथा दर्शनको आधारभूमि रहेको छ। यद्यपि यसको मुख्य धारा आस्तिकता अर्थात् वेदनिष्ठ दर्शनको नै रहेको छ तर नास्तिक या वेदेतर दर्शनको विकास र व्यापकताको दृष्टिकोण बाट पनि नेपालको भूमिका कम महत्त्वपूर्ण छैन। उल्लेखनीय यो छ कि वेदनिष्ठ तथा अवैदिक दुवै प्रकारको दर्शनको नीति-मीमांसामा केन्द्रस्थ नैतिक मूल्य अहिंसा नै हो।
मध्यकालमा वेद मन्त्रको अपव्याख्या बाट सुरु भएको वैदिक यज्ञहरुमा पशुबलि प्रथा कै कारणले सामान्यतः आजको हिन्दु सम्प्रदाय भ्रमित भएर धर्मको वैदिक स्वरूप अहिंसाको संदर्भलाई स्मरण गर्न चाहन्न यहि भएर होला सायद जैन एवं बौद्ध सम्प्रदाय यसकै विरोधमा विकसित भएको मानिन्छ। तर यो कुरालाई बेवास्ता गर्ने गरिन्छ कि मूल भेद यी दुवै परम्पराको तत्वमीमांसामा छ र आ-आफ्नो नीतिमीमांसामा यी दुवैले अहिंसाकै अनुकरण गर्ने आग्रह गर्दछन्। संसारका समस्त मत-पन्थ-सम्प्रदायका संस्कृतिमा केहि आचरणगत कमि-कमजोरीहरु देख्न सकिन्छ किनकि मनुष्य कहिल्यै पनि पूर्ण हुन सक्दैन। प्रत्येक संस्कृति मूल्य-साधनाको प्रक्रिया नै हो जसलाई उसको मूल्य-प्रेरणाको संदर्भमा नै बुझ्न सकिन्छ किनभने यस साधनामा उसका असफलताहरुलाई स्वीकार गर्नु पनि साधनाको वांछनीयतालाई नै संकेतित गर्दछ। यस दृष्टिले वैदिक धर्म-दर्शनको केन्द्रीय मूल्यको रूपमा अहिंसा नै स्थापित हुन्छ।
ऋग्वेद: १०/११७ मा दयालाई प्रमुख कर्तव्य मानिएको छ तथा ५/८५/७ मा कसैको पनि अनिष्ट गर्नुलाई पापकर्म भनिएको छ भने १०/१९१/२-४ मा संपूर्ण सहजीवनको जुन कल्पना गरिएको छ, त्यो पनि मानव-जातिको एकत्व बोधको संकेत हो।
सामवेद:१/२/९,२ मा स्पष्टतः हिंसा नगर्न, अथर्ववेद: १७/१-७ मा सबै प्रति मैत्रीभाव राख्न तथा ३६/१८ मा पशु-पंक्षीहरुको वध गर्न निषेध गर्दै तिनीहरुको सेवा गर्ने भनिएको छ।
ब्राह्मण ग्रंथहरुमा मनुष्य र मनुष्येतर प्राणियहरु प्रति कर्तव्य पालन गर्ने आग्रह गर्दै पंचऋणको अवधारणामा नृऋण तथा भूतऋणको पनि उल्लेख गरिएको छ।
उपनिषदीय दर्शन (छांदोग्य, ३/१७) मा त झनै स्पष्टतः सदाचार विश्लेषणमा अहिंसा र दानशीलतालाई अत्यन्तै महत्त्व दिइएको छ। तैत्तिरीय उपनिषद (१/११) मा श्रद्धापूर्वक दान गर्ने निर्देशन गरिएको छ।
क्रमशः……

10 thoughts on “अहिंसाको दर्शन-वैदिक संस्कृति..”

  1. आर्यलोग गोमांस खाते थे इसके प्रमाण……..
    १. ऋग्वेद १०-८६-१४
    २. ऋग्वेद १०-८९-१४
    ३. ऋग्वेद १०-२८-३
    ४. ऋग्वेद १०-८०-१४
    ५. ऋग्वेद १०-७९-६
    ६. ऋग्वेद १०-९१-१४
    ७. ऋग्वेद १०-१६-९२
    ८. ऋग्वेद ६-१७-२७
    ९. ऋग्वेद १०-८६-१३
    १०. ऋग्वेद ९-७९-४
    ११. ऋग्वेद ८-५-३८
    १२. ऋग्वेद ९-१०
    १३. ऋग्वेद १०-१६-७
    १४. ऋग्वेद १-१६२-३
    १५. ऋग्वेद २-१२६-९
    १६. ऋग्वेद १-१६३-११
    १७. ऋग्वेद १-१६-२
    १८. यजुर्वेद ३५-१०

    1. ओ३म्..
      विकास बाबु, नमस्ते..!
      यी जति पनि प्रमाण तपाइँले दिनुभएको छ, तिनमा केवल वेद मात्र स्वतः पप्रमाण मानिन्छ| ति वेद मन्त्रको पूरा श्लोक र तिनको निरुक्तको आधारमा अर्थ पनि लगाएर दिनुस न है..!
      त्यसपछि म त्यसको खण्डन-मण्डन गर्नेछु ल..!
      लेखमा चासो देखाएकोमा धेरै धन्यवाद छ..!

  2. आर्यलोग गोमांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (ब्राह्मण काल)
    १. सतपत ब्राह्मण सुत्त ३, सुत्त १, सुत्त २ और सुत्त २१
    २. सतपत ब्राह्मण ४, ६, ११ और १
    ३. पंचविश ब्राह्मण २१, १४ और ५
    ४. ऐतरेय ब्राह्मण २, ६ ६
    ५. ऐतरेय ब्राह्मण ३१
    ६. गोपथ ब्राह्मण ३/१८
    ७. सतपत ब्राह्मण २, ८, २, १२, १३
    ८. सतपत ब्राह्मण ११, ७, १, ३

    आर्यलोग गोमांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (उपनिषद काल)
    १. बृहदारण्य उपनिषद् ६-४-१८

    1. ओ३म्..
      विकास बाबु, नमस्ते..!
      यी जति पनि प्रमाण तपाइँले दिनुभएको छ, तिनमा केवल वेद मात्र स्वतः पप्रमाण मानिन्छ| ति वेद मन्त्रको पूरा श्लोक र तिनको निरुक्तको आधारमा अर्थ पनि लगाएर दिनुस न है..!
      त्यसपछि म त्यसको खण्डन-मण्डन गर्नेछु ल..!
      लेखमा चासो देखाएकोमा धेरै धन्यवाद छ..!

  3. आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (रामायण)
    १. वाल्मिकी रामायण १-१४-२१
    २. वाल्मिकी रामायण १-१४-३२
    ३. वाल्मिकी रामायण १-१४-३६
    ४. वाल्मिकी रामायण २-१४-३६
    ५. वाल्मिकी रामायण १-१४-३३
    ६. वाल्मिकी रामायण १०-४२-१८ से २१
    ५. वाल्मिकी रामायण ५-३६-४१
    ६. वाल्मिकी रामायण ६८, ३२-३३
    ७. वाल्मिकी रामायण २-५२-८९
    ८. वाल्मिकी रामायण २-५५-२०
    ९. वाल्मिकी रामायण २-५५-८८
    १०. वाल्मिकी रामायण ६-२१-२२
    ११. वाल्मिकी रामायण २-९६-१
    १२. वाल्मिकी रामायण २-९६-२
    १३. वाल्मिकी रामायण १-५-१०२
    १४. वाल्मिकी रामायण २-५६-२२, २३, २४, २५
    १५. वाल्मिकी रामायण २-५६-२७, २८, २९, ३०, ३१
    १६. वाल्मिकी रामायण २-४४
    १७. वाल्मिकी रामायण ३-११-५६
    १८. वाल्मिकी रामायण २-११-५७
    १९. वाल्मिकी रामायण १-४९-८
    २०. वाल्मिकी रामायण ३-११-५६
    २१. वाल्मिकी रामायण ४-१७-३९
    २२. वाल्मिकी रामायण ४-१८-६९, ७०
    २३. वाल्मिकी रामायण ३-७३-१५
    २४. वाल्मिकी रामायण ३-७३-१६
    २५. वाल्मिकी रामायण २-९१-५२
    २६. वाल्मिकी रामायण २-८४-१०

  4. आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (महाभारत)
    १. अनु, पर्व अध्याय ८८ श्लोक ८
    २. शल्य पर्व ४१-८, ९, ११, १२, १३
    ३. शांती पर्व २६५-१, २, ३
    ४. शांती पर्व २९-१२३
    ५. शांती पर्व ६७-५
    ६. शांती पर्व २६-१७९
    ७. द्रोण पर्व ६७-६, १७, १८
    ८. शांती पर्व ३३७-४
    ९. अश्वमेध पर्व ७१ और ८९

    आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (सूत्र काल)
    १. गोविल गृहसूत्र ३३, १०, १६
    २. खादिर गृहसूत्र ३, ४
    ३. आपस्तम्ब धर्मसूत्र २-७-१६-२५, और २-७-१७-३
    ४. आपस्तम्ब धर्मसूत्र २, २७, ४
    ५. पारस्कर गृहसूत्र २६ और ३१७
    ६. रवादिर गृहसूत्र ३-४-१
    ७. गोविल गृहसूत्र ३-१०-१६
    ८. आपस्तम्ब धर्मसूत्र २१-१६-२५
    ९. कालायन श्रोत सूत्र २२-११, ३, ८
    १०. पाराशर धर्मसूत्र ६२, २७, २८, २९, ३०
    ११. आश्वालायन गृहसूत्र ४-१०
    १२. आपस्तम्ब धर्मसूत्र ६१८
    १३. आश्वालायन गृहसूत्र ६-३-३
    १४. आश्वालायन गृहसूत्र ३/९
    १५. आपस्तम्ब धर्मसूत्र १४-२-३

  5. आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (स्मृति काल)
    १. मनुस्मृति ३/८७, ३/८९, ३/९१, ३/१२३, ३/२६७, ३/२६८, ३/२६९, ३/२७२
    २. मनुस्मृति ४/१३१, ५/२२, ५/२३, ५/२७, ५/२८, ५/३०, ५/३२, ५/४२, ५/४४, ५/३५, ३/३
    ३. मनुस्मृति ५/२७, ५/३१, ५/३२, ५/३९, ५/४०, ५/४१, ५/४४, ३/५५
    ४. संख महर्षि स्मृति १७-२५, १७/२२, ३/५६, ३/५५, १४, १७७-७८
    ५. वशिष्ठ स्मृति १४

    आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (पुराण काल)
    १. विष्णु धर्मोत्तर पुराण १-४०-१४९-१५०
    २. कूर्म पुराण २-१७-४०
    ३. विष्णु पुराण ३-१६-१, ३-१६-२, ३-१६-३
    ४. विष्णु पुराण ४-१-१७
    ५. ब्रह्य वैवर्त्य पुराण १-६१-९८, १-६१-९९, १-५०-१२, १-१०५६१, १-१०५-६२, १-१०५-६३, १-५४-४८
    ६. देवी भागवत पुराण १-१८-५२-५४
    ७. हरिवंश पुराण १२-१३
    ८. मार्कण्डेय पुराण १२, ३२-१२, ३२-१३, १२०, ९-१२०
    ९. वायु पुराण २१, २४-१-२, २१

    1. ओ३म्..
      विकास बाबु, नमस्ते..!
      यी जति पनि प्रमाण तपाइँले दिनुभएको छ, तिनमा केवल वेद मात्र स्वतः पप्रमाण मानिन्छ| ति वेद मन्त्रको पूरा श्लोक र तिनको निरुक्तको आधारमा अर्थ पनि लगाएर दिनुस न है..!
      त्यसपछि म त्यसको खण्डन-मण्डन गर्नेछु ल..!
      लेखमा चासो देखाएकोमा धेरै धन्यवाद छ..!

  6. आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (बौद्ध काल)
    १. मज्झिद निकाय २-१-४, २-४-५, ३-५-४

    आर्यलोग मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (मध्य काल)
    १. सम्राट अशोक शिलालेख १, २, ५
    २. चरक संहिता सूत्र स्थान अध्याय २७, श्लोक ८२
    ३. चरक संहिता सूत्र स्थान अध्याय १९, श्लोक ४
    ४. सुश्रुष संहिता सूत्र स्थान अध्याय ४६, श्लोक ९७
    ५. सुश्रुष संहिता सूत्र स्थान अध्याय १७, श्लोक ३८
    ६. अष्टांग ह्रदय सूत्र स्थान ६-४६
    ७. कालिदास कृत मेधदूत ग्रन्थ
    ८. शब्द कल्पद्रुम ग्रन्थ
    ९. तहकीकात-ए-हिन्द ग्रन्थ

    मांस खाते थे इसके प्रमाण…….. (आधुनिक काल)
    १. हिन्दू जनजातियाँ (चमार (मोची), मातंग, भंगी, ढोर)
    २. मुसलमान (बहुतांश समाज)
    ३. ख्रिस्चन समाज

    1. ओ३म्..
      विकास बाबु, नमस्ते..!
      यी जति पनि प्रमाण तपाइँले दिनुभएको छ, तिनमा केवल वेद मात्र स्वतः पप्रमाण मानिन्छ| ति वेद मन्त्रको पूरा श्लोक र तिनको निरुक्तको आधारमा अर्थ पनि लगाएर दिनुस न है..!
      त्यसपछि म त्यसको खण्डन-मण्डन गर्नेछु ल..!
      लेखमा चासो देखाएकोमा धेरै धन्यवाद छ..!

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