यौन-प्रदूषण एवं प्रक्षालन
आयशा बतलाती हैं-”अल्लाह के रसूल जब भी मैथुन करते थे और फिर खाना या सोना चाहते थे, तब वे नमाज के लिए की जाने वाली वुजू करते थे“ (598)। भाष्यकार स्पष्ट करते हैं कि ऐसा इसीलिए किया जाता था ”ताकि मनुष्य की आत्मा दैहिक आवेगों से हटकर अपनी असली आध्यात्मिक अवस्था में पहुंच जाए“ (टि0 511)। मुहम्मद का अपने अनुयायियों के लिए भी यही आदेश था। उदाहरणार्थ, उमर एक बार पैगम्बर के पास गये और उनसे कहा कि ”वे रात को अस्वच्छ हो गये हैं। अल्लाह के रसूल ने उनसे कहा-वुजू करो, लिंग धो लो और सो जाओ“ (602)। यही सलाह अली को भी पहुंचाई गई, जोकि दामाद होने के कारण मुहम्मद से सीधे सवाल पूछने में शरमाते थे। उनकी समस्या ’मजी‘ (प्राॅस्टेट ग्रंथि का स्राव) की थी, वीर्य की नहीं। ”ऐसे मामले में वुजू जरूरी है“-उन्हें बताया गया (593)।