हदीस : वक़्फ

वक़्फ

मुहम्मद वक़्फ अर्थात् सम्पत्ति के एक संग्रह को अल्लाह के लिए समर्पित करने के पक्ष में थे। उमर ने मुहम्मद से कहा-“मुझे खै़बर में जमीन मिली है (पराजित यहूदियों की ज़मीन जो मुहम्मद के साथियों में बांट दी गयी थी)। मैंने इससे ज्यादा कीमती कोई जायदाद कभी प्राप्त नहीं की। अब इसके बारे में क्या करने का हुक्म आप देते हैं ?“ इस पर रसूल-अल्लाह बोले-“अगर तुम चाहो तो तुम इस सम्पत्ति-संग्रह को यथावत रख सकते हो और उसकी उपज को सदके के रूप में दे सकते हो। …… उमर ने उसे गरीबों के लिए, नज़दीकी रिश्तेदारों के लिए, गुलामों की मुक्ति के लिए और अल्लाह के रास्ते में तथा मेहमानों के लिए समर्पित कर दिया“ (4006)।

author : ram swarup

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