विभिन्न अवसरों पर विहित प्रार्थनाएं
वर्षा के लिए प्रार्थनाएं हैं, अंधड़ से या भयंकर काले बादलों से रक्षा के लिए प्रार्थनायें हैं, और सूर्यग्रहण के समय की जाने वाली प्रार्थनायें हैं (1966-1972)। तथापि प्रकृति के प्रति मुहम्मद में मैत्री-भाव नहीं मिलता। बादलों और तेज हवाओं से वे आतंकित हो उठते थे। आयशा बतलाती हैं-”जब किसी दिन आंधी-तूफान या घने काले बादल उमड़ते थे, तो उनका असर अल्लाह के रसूल के चेहरे पर पढ़ा जा सकता था। और वे बेचैनी की हालत में आगे पीछे टहलते थे।“ वे आगे कहती हैं-”मैने उनसे बेचैनी का कारण पूछा और वे बोले-मुझे आशंका थी कि मेरी मिल्लत के ऊपर कोई विपत्ति आ सकती है“ (1961)।
मुहम्मद इस समस्या के साथ अभिचार-मंत्र की मदद से निपटते थे। आयशा बतलाती हैं-”जब भी तूफानी हवा आती थी, अल्लाह के पैगम्बर कहा करते थे-ऐ अल्लाह ! मुझे बता कि इसमें क्या भलाई है और कौन सी भलाई इसके भीतर है, और किस भलाई के लिए यह भेजी गई है। इसमें जो बुराई हो, इसके भीतर हो और जिस बुराई के लिए यह भेजी गई हो, उससे बचने के लिए मैं तुम्हारी शरण लेता हूं“ (1962)।
author : ram swarup