उपदेशक के रूप में मुहम्मद
जाबिर बिन अब्दुल्ला ने हमारे लिए उपदेश देते हुए मुहम्मद का एक शब्द-चित्र रचा है। वे बतलाते हैं-”जब अल्लाह के रसूल उपदेश देते थे, उनकी आंखें लाल हो जाती थी, आवाज चढ़ती जाती थी और गुस्सा बढ़ता जाता था, जिसमें लगता था कि मानों वे दुश्मन के खिलाफ चेतावनी दे रहे हों और कह रहे हों कि दुश्मन ने तुम पर सुबह भी हमला किया है और शाम को भी। वे यह भी कहते थे कि कयामत के दिन मुझे इन दो की तरह भेजा गया है। और वे अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुलियां जोड़ लेते थे (जिस प्रकार इन दो अंगुलियों के बीच कोई और अंगुली नहीं है उसी प्रकार मुहम्मद और कयामत के दिन के बीच कोई नया पैगम्बर नहीं होने वाला)। और आगे कहते थे कि सर्वोत्तम उपदेश अल्लाह की किताब में साकार है, और सर्वोत्तम मार्गदर्शन मुहम्मद द्वारा दिया जाने वाला मार्गदर्शन है, और सर्वाधिक बुरी बात है कोई नया प्रवर्तन, और प्रत्येक नया प्रवर्तन एक भूल है“ (1885)।
मुहम्मद के उपदेशों के आंखों-देखे ब्यौरे और भी हैं। एक ब्यौरे में कहा गया है-”अल्लाह के रसूल (प्रार्थना में) खड़े हुए और हमने उन्हें कहते सुना-मैं तुझसे बचने के लिए अल्लाह की शरण लेता हूँ। और फिर वे बोले-मैं तुझे अल्लाह के शाप द्वारा तीन बार शापित करता हूं। फिर उन्होंने अपना हाथ फैलाया, मानों कोई चीज पकड़ रहे हों।“ जब इस असामान्य आचरण पर प्रकाश डालने के लिए उनसे कहा गया, तो उनका उत्तर था-”अल्लाह का दुश्मन इबलीस आग की लौ लेकर आया था, वह उसे मेरे मुंह पर रखना चाहता था।“ पर शाप के बाद भी वह बाज नहीं आया। ”तब मैंने उसे पकड़ना चाहा। अल्लाह की कसम, अगर मेरे भाई सुलेमान ने विनती न की होती, तो मैं उसे बांध लेता और उसे मदीना के बच्चों के लिए तमाशे की चीज बना देता“ (1106)।
author : ram swarup