शैतान के अस्तित्व्य की विचारधारा कई पंथों के सिद्धांतों की आधारशिला है . शैतान का अस्तित्व न तो ये मत पंथ ही आज तक सिद्ध कर सके हैं न ही विज्ञानं इसकी किसी अस्तित्व्य की संभावना से इत्तिफाक रखता है . शैतान इन मत मंथीय साहित्य के एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं शक्तिशाली किरदारों में से एक है जो निरन्तर इन मत पंथियों के ईश्वर की सत्ता को नकारता एवं कदम दर कदम उसके सर्वशक्तिमान होने के दावे को खण्डित करता है.
शैतान की यह कल्पना अवैज्ञानिक तो है ही अनेकानेक स्थानों पर अत्यंत ही उपहास का कारण बनाती है :-
सहीह अल बुखारी ने की ये हदीस पढ़िए :
जिल्द ४
सारांश यह है कि अबू हुरैरा ने बताया कि मुहम्मद साहब ने कहा कि शैतान तुम सभी के सिर के पीछे तीन गांठें बाँध देता है और और वह हर गाँठ को बंधाते समय प्रत्येक साँस के साथ कहता है कि “ रात्री लम्बी है इसलिए अभी सोते रहो “
यदि व्यक्ति जाग जाता है और अल्लाह के गुणगान गाता है तो उसकी एक गाँठ खुल जाती है और जब वह वजू करता है तो दूसरी गाँठ खुल जाती है और जब वह नमाज़ अदा करता है तो तीनों गांठे खुल जाती हैं .
और वह व्यक्ति सुबह का आनंद लेता है अन्यथा वह सुबह उस व्यक्ति को कुंठित करने और उदास रखने वाली होती है .
शैतान के अस्तित्व्य के यक्ष प्रश्न के अलाह अब इस्लाम के जानकारों से हमारी गुजारिश है कि इस हदीस की प्रमाणिकता सिद्ध करें :
- शैतान का सर के पीछे गाँठ लगाना .
- गांठों का किसी को न दिखना
- शैतान का वार्तालाप और
- अल्लाह के गुणगान और वजू आदि से इन गांठों का खुल जाना
- गांठें गांठें लगाने के लिए किसी पदार्थ का प्रयोग तो अवश्यम्भावी है तो शैतान वह गांठें कैसे और किस पदार्थ का प्रयोग करके लगाता है और वह पदार्थ इसकेलिए कहाँ से प्राप्त करता है इत्यादि .
सहीह अल बुखारी में इससे आगे एक हदीस और लिखी है जो अत्यंत ही हास्यास्पद है :
जिल्द – ४
सारांशतः अब्दुल्लाह ने बताया की एक बार मुहम्मद साहब को बताया गया कि एक व्यक्ति सुबह तक अर्थात सूर्य उगने के बाद तक सोया रहा . मुहम्मद साहब के कहा यह वो व्यक्ति है जिसके कानों में शैतान ने मूत्र का त्याग किया है .
यह हदीस शैतान के मस्तिष्क के पीछे गांठे लगाने से आगे बढ़कर शैतान द्वारा मुसलमानों के कानों में मूत्र त्याग के बारे में बताती है जो न ही हास्यास्पद है बल्कि अवैज्ञानिक मान्यता की पोषक भी है .
वर्तमान युग में अनेकों व्यक्ति चाहे वो मुस्लिम हैं मुशरिक हैं सूर्योदय के पश्चात् निद्रा त्यागने के अभ्यस्त हैं लेकिन आज तक किसी ने ऐसी शिकायत नहीं की और न ही किसी की शैतान के मूत्र त्यागने के कारण निद्रा ही टूटी है .
यदि किसी भी व्यक्ति से, जिसने सूर्योंदय के बाद निद्रा त्याग किया है, से कहा जाये की शैतान ने आपके कान में मूत्र त्याग किया है तो वह कहने वाले को मानसिक रोगी ही समझेगा ऐसे में यह मौलानाओं का दायित्व्य बनता है कि इस हदीस की वैज्ञानिकता को सिद्ध करें जिससे सभी को इस हदीस की सत्यता का ज्ञान हो सके.