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जब इजराइल निवासी चूहे बना दिए गए :  अल्लाह का विचित्र कार्य

सृष्टि के नियम अपरिवर्तित रहते हैं. जब से सृष्टि का सृजन है ये नियम उसी रूप में हैं इन में कोई परिवर्तन नहीं होता है . सभी गृह नक्षत्र उन्हीं नियमों का पालन करते हुए विचरण करते हैं तथा सभी जीव भी ईश्वरीय नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं. न तो जीव या प्रकृति द्वारा इन नियमों में कोई परिवर्तन किया जा सकता है न ही ईश्वर अपने बनाये इन नियमों में कोई परिवर्तन करता है. यदि इन नियमों में परिवर्तन हो जाये तो विचित्र स्तिथी उत्पन्न हो जायेगी . सारा विज्ञान जो इन अपरिवर्तित नियमों पर आधारित है खोखला हो जायेगा . जैसे पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है यह नियम प्रारंभ से निर्धारित है और विज्ञानं के अनेकों नियम , मौसम का परिवर्तित होना दिन रात का होना जैसे अनेकों नियमों  का यह आधार है यदि यह नियम परिवर्तित हो जाये और सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करने लगे तो ये नियम धराशाही हो जायेंगे .

इसी प्रकार ये भी नियम है जीव जिस योनी में जन्म लेता है उसी योनी में उस जीवन के बाकी काल तक निर्वाह करता है . बिना मृत्यु हुए उस जन्म में उसकी योनी में परिवर्तन नहीं होता है . यह अटल नियम प्रारंभिक काल से है लेकिन इस्लाम के इतिहास में इसके विपरीत बातें आती हैं उनमें से नीचे एक दी हुयी है इस पर विचार करते हैं .

सहीह बुखारी जिल्द ४, हदीस ५२४ , पृष्ठ संख्या ३३३

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अबू हुरैरा से रिवायत है कि मुहम्मद साहब ने कहा कि इजराइलियों का एक समूह खो गया. किसी को नहीं पता कि उन्होंने क्या किया मुझे इसके अलावा नहीं लगता कि उन्हें श्राप दिया गया हो और वे चूहे बना दिए गए .यदि तुम  इन चूहों के  सामने ऊंटनी का दूध रख दो  तो ये नहीं पीयेंगे लेकिन यदि भेड़ का दूध रख दो तो ये पी लेंगे .

मैने काब से पूछा कि क्या तुमने ये “ मुहम्मद साहब “ से सुना  था . मैने कहा कि हाँ . काब ने  मुझसे यही प्रश्न कई बार पूछा .

 

इसकी व्याख्या में लिखा गया है कि इजराइलियों को ऊंट का मांस खाना और दूध पीना अवैधानिक था . वो भेड़ का दूध पी सकते थे और मांस भी खा सकते थे .रसूल ने चूहों की आदतों से अनुमान लगाया कि कुछ इजराइल चूहों में परिवर्तित हो गए हैं .

व्याख्याकार आगे लिखते हैं कि मुहम्मद साहब को यह इजरायलियों के भाग्य के बारे में प्रेरणा से पता चल गया था. और वो सूअर और बन्दर बन गए थे .

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यह हदीस सृष्टि के नियमों के विपरीत है . सृष्टि के नियमों में परिवर्तन नहीं होता इसलिए मनुष्यों का चूहों में परिवर्तित हो जाना असंभव है .

चूँकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार खुदाई किताब कुरान के  अनुसार :

 

तुम्हारे साथी ( मुहम्मद साहब ) नहीं भूले हैं न ही भटके हैं और वो अपनी ख्वाइश से नहीं बोलते वह तो सिर्फ वही ( ईश्वरीय ज्ञान ) है जो उन की तरफ वही की जाती है .

सूरा अन नज़्म ५३ आयत २ -४

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अब यदि इस्लाम ने अनुसार खुदाई किताब को सत्य मानकर विचार किया जाए तो यह बात सत्य होनी चाहिए कि मुहम्मद साहब के कहे अनुसार इजराइल के कुछ लोग चूहे बन गए थे .

लेकिन यदि बुद्धि पूर्वक विचार किया जाए तो कोई भी व्यक्ति इस बात को मनाने के लिए तैयार नहीं होगा की श्राप की वजह से मनुष्य चूहों में परिवर्तित हो गए होंगे.

मुसलमानों का यह कर्त्तव्य है कि सत्य का निर्धारण करें कि या तो हदीस गलत है या फिर कुरान की ये आयत गलत है की मुहम्मद साहब जो बोलते हैं वो अल्लाह की तरफ से होता है या फिर दोनों गलत हैं .