ईश्वर द्वारा बनायी इस सृष्टि में सभी जीव ईश्वर द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करते हए जीवन यापन करते हैं. जिन्हें जिव्ह्या प्रदान की है वो उसका प्रयोग अपने भावों को व्यक्त करने के लिए करते हैं . चाहे वो खुशी को व्यक्त करना चाहें या दुःख को या जीवन की अलग अलग भावनाओं और आवश्यकताओं को.
लेकिन हदीसों का अवलोकन करने पर हम इसका एक अन्य कारण भी पाते हैं :-
सहीह बुखारी हदीस नॉ ५२२ , पृष्ट संख्या ३३२
अबू हुरैरा से रिवायत है की मुहम्मद साहब ने कहा कि जब आपको मुर्गे की बांग सुनाई दे तो अल्लाह से दुआ मांगों क्योंकि मुर्गे का बांग देना यह प्रदर्शित करता है कि इसने फरिश्तों को देखा है . और जब तुम गधे का रेंकना सुनो तो अल्लाह से शरण की दुआ करो क्योंकि गधे का रेंकना यह प्रदर्शित करता है की गधे ने शैतान को देखता है .
यही हदीस सहीह मुल्सिम में भी है :
सहीह मुस्लिम जिल्द ४ हदीस २७२९ पृष्ठ संख्या २६५
अबू हुरैरा ने बताया कि अल्लाह के रसूल ने कहा की जब तुम मुर्गे की बांग को सुनो तो अल्लाह से अपने लिए दुआ मांगो क्योंकि मुर्गे ने फरिश्तों को देखा है और जब तुम गधे का रेंकना सुनो तो शैतान से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करो क्योंकि गधे ने शैतान को देखा है .
बड़ा ही नायब तर्क है गधे के रेंकने और मुर्गे के बांग देने का !
विज्ञान तो अभी तक फरिश्तों और शैतान के अस्तित्व को खोजने में ही असफल रहा है.
मौलवियों को आवश्यक है कि विज्ञानं द्वारा इस तथ्य को साबित करें क्योंकि ज्ञान का प्रचार प्रसार होना सभी के हित में है.
वैसे ये शैतान है बडा ही अद्भुत पात्र क्योंकि अल्लाह को भी शैतान की फिक्र लगी रहती है और अल्लाह के दिखाए मार्ग पर चलने वाले मुसलमान भी इसके डर से खौफजदा रहते हैं और बार बार अल्लाह से शैतान से बचने के लिए दुआ करते रहते हैं .
ये हमारी दरख्वास्त है मौलियों आलिमों फाज़िलों से कि इस्लाम की इस खोज को कि मुर्गे क्यों बांग देते और गधे क्यों रेंकते हैं की हकीकत को विज्ञानं की दृष्टि में सिद्ध करें जिससे सत्य का प्रसार विश्व भर में हो .