बुखार का होना एक सामान्य रोग है जो कभी न कभी किसी का किसी को जकड ही लेता है . जब जब मौसम बदलते हैं तो अक्सर ये रोग अधिक हो फ़ैल जाता है और अधिक लोगों को अपने चपेटे में ले लेता है .
कई बार यह डेंगू बुखार का रूप ले कर महामारी का कारण भी बन जाता है . इस महामारी कई बार लोगों की जान तक चली जाती है . सामान्यतया चिकत्सक इस समय स्वच्छता पर ध्यान देने के लिए सलाह देते हैं जिसे मक्खियाँ जिन वस्तुओं पर बैठती हैं उन्हें न खाया जाए , पानी भर कर किसी बर्तन या किसी जगह पर न इकठ्ठा होने दिया जाए जिससे कि मच्छर इत्यादी न पनपें .
जब डेंगू का बुखार महामारी का रूप ले ले तो बड़ी कठिनाई हो जाती है. विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं और सरकार के लिए यह कठिन समय होता है . बीमार लोगों की अस्पताल में भीड़ इकट्ठी हो जाती हैं जो कई बार अस्पतालों में उपलब्ध सेवाओं से कहीं अधिक होती है. इसलिए सभी लोग इसके बचाव का ही प्रयास करते हैं .
लेकिन जब हम इस्लाम का अध्ययन करते हैं तो पता चलता है कि इसका एक कारण और भी है.
ये हदीसें देखिये :
सहीह बुखारी जिल्द ४ ,हदीस संख्या ४८३ ~४८६ पृष्ट संख्या ३१४ -३१५
अबू जमरा अब दाब से रिवायत है कि मैं अब्बास के साथ मक्का बैठा करता था एक दिन मुझे बुखार था तो उसने मुझसे कहा कि ज़मज़म के पानी से बुखार को ठंडा कर लो . अल्लाह के रसूल ने कहा था कि बुखार नर्क की गर्मी से आता है इसलिए इसे ज़मज़म के पानी से ठंडा कर लो .
रफ़ी बिन ख़दीज से रिवायत है कि मैने रसूल का कहा सुना कि बुखार नर्क की गर्मी से होता है इसलिए इसे जमजम के पानी से ठंडा कर लेना चाहिए
आयशा से रिवायत है कि रसूल ने कहा कि बुखार नर्क की गर्मी से होता है इसलिए इसे जमजम के पानी से ठंडा कर लेना चाहिए
इसी प्रकार की दुसरे कई हदीसें इस बार में सहीह बुखारी में दी गयी हैं . इसी तरह सहीह मुस्लिम में भी ये हदीसें आती हैं . सहीह मुस्लिम से ये हदीस देखिये .
सहीह मुस्लिम हदीस २२११, जिल्द -३, पृष्ठ संख्या ४७६
आस्मा से रिवायत है कि एक औरत को काफी तेज बुखार की हालात में उसके पास लाया गया . उसने पानी मंगाया और उसके वक्ष स्थल के उपरी भाग पर छिड़क दिया और कहा कि बुखार को पानी से ठण्डा कर लो क्यूंकि ये नर्क की तेज़ गर्मी के कारण है .
अब मुहम्मद साहब द्वारा बताये गए बुखार के फायदों पर एक नज़र डालते हैं :
पाप दूर करता है बुखार:
सहीह मुस्लिम हदीस २५७५ जिल्द ४ पृष्ठ संख्या १९४
जबीर बी अब्दुल्लाह् से रिवायत है कि मुहम्मद साहब उम्मा आइब या उम्मा मुसय्य्यिब के यहाँ गए और उम्मा आइब या उम्मा मुसय्य्यिब को बोला कि तुम क्यूँ कांप रहे हो . उसने कहा कि मुझे बुखार है और क्या यह अल्लाह की सजा नहीं है ? मुहम्मद साहब ने कहा की बुखार को मत कोसो क्यूंकि ये आदम की भावी पीड़ी के पापों का प्रायश्चित है जैसे कि भट्टी लोहे से मिश्रित धातुओं को अलग कर देती है .
एक और हदीस देखिये
सहीह मुस्लिम हदीस २५७५ जिल्द ४ पृष्ठ संख्या १९४
तात्पर्य यह है कि एक दिन अब्दुलाह मुहम्मद साहब के पास गए और देखा की मुहम्मद साहब को बुखार है तो मुहम्मद साहब को पूछा की आपको तो बुखार है तो उन्होंने कहा कि हाँ मुझे आप लोगों से कहीं ज्यादा बुखार होता है . मुहम्मद साहब ने पुनः कहा कि जब कोई मुसलमान बीमार पड़ता है तो उसका परिणामतः उसके कुछ पाप धुल जाते हैं .
इसी तरह की कुछ हदीसें बुखारी में भी दी हुयी हैं.
विचार करने की बात ये है कि चूँकि
चूँकि इस्लामिक मान्यता के अनुसार खुदाई किताब कुरान के अनुसार मुहम्मद साहब जो कुछ बोलते हैं अल्लाह की तरफ से ही बोलते हैं जैसे की कुरान की ये आयत कहती है :
तुम्हारे साथी ( मुहम्मद साहब ) नहीं भूले हैं न ही भटके हैं और वो अपनी ख्वाइश से नहीं बोलते वह तो सिर्फ वही ( ईश्वरीय ज्ञान ) है जो उन की तरफ वही की जाती है .
सूरा अन नज़्म ५३ आयत २ -४
अब यदि इस्लाम ने अनुसार खुदाई किताब को सत्य मानकर विचार किया जाए तो यह बात सत्य होनी चाहिए कि बुखार नर्क की गर्मी की वजह से होता है और पानी से चला जाता है .
लेकिन कोई भी विवेकशील व्यक्ति इस बात को मनाने के लिए तैय्रार नहीं होगी क्यूंकि:
- नर्क और स्वर्ग आदि का अस्तित्व कहीं भी नहीं.
- यदि नर्क का अस्तित्व्य दुर्जन्तोशान्य के लिए मान भी लिया जाए तो नर्क की गर्मी के वजह से यदि बुखार होता है तो फिर सभी व्यक्तियों जानवरों पक्षियों आदि को एक साथ होना चाहिए सभी को एक साथ क्यूँ नहीं होता.
- नर्क की उस गर्मी से पृथ्वी का तापमान भी बढना चाहिए वो क्यों नहीं बढ़ता.
- यदि बुखार नर्क की गर्मी से होता है तो फिर बाकी की बीमारियाँ किस कारण से होती हैं
- विज्ञानं ने जो कारण बुखार होने के ढूंढे हैं, जैसे कि मच्छरों का काटना , उनका फिर क्या मूल्य रहा जाता है .
- बुखार जब महामारी के रूप में फ़ैल जाता है और अनेकों लोगों की जान लेने का भी कारण बनता है उस समय सरकारें पैसा पानी की तरह बहाकर महामारी को रोकती हैं .यदि वह केवल नर्क की गर्मी की वजह से होता तो फिर उपचार से रोकना संभव नहीं था .
- मुहम्मद साहब ने कहा की बुखार आदम की भावी पीढी के पापों का प्रायश्चित है तो भावी पीडी जब उत्पन्न ही नहीं हुयी तो फिर उसके पाप कैसे उत्पन्न हो गए और फिर पापों का फल तो उस व्यक्ति को मिलना चाहिए जिसने पाप किये हैं जिसने पाप नहीं किये उसे किसी और के कर्मों का फल दे देना कहाँ की बुद्धिमतता है . यह तो खुदा तो अन्यायकारी और नासमझ ही ठहराती है .
- बुखार की वजह से पाप कैसे दूर हो सकते हैं ? यदि बुखार से पाप दूर होते हैं तो फिर बाकि की बीमारियों से पाप दूर होते हैं या नहीं होते हैं .
- बाकी लोगों के पापों से मुहम्मद साहब के पाप दुगने दूर क्यों होते हैं. यदि ऐसा है तो क्या यह उस खुदा का पक्षपात नहीं है जो अपनी सन्तति के साथ भेदभाव करता है .
- हदीस में कहा गया है कि पानी से बुखार दूर हो जाता है यदि ऐसा होता तो फिर उपचार के लिए इतनी औषधियां लेने की क्या आवश्यकता थी . मुसलमान भी बुखार के लिए औषधालयों में दवाई लेते ही देखे जा सकते हैं . उन्हें केवल पानी से बुखार दूर कर लेना चाहिए और सभी मुस्लिम देशों में बुखार की दवाई बनाने बेचने और लेने पर प्रतिबन्ध कर देना चाहिए क्योंकि वो केवल पानी से दूर किया जा सकता है
मौलवियों को चाहिए कि इन हदीसों की वैज्ञानिक सन्दर्भ को सिध्ध करें .