महर्षि दयानन्द ने प्रबल युक्तियों से यह सिध्ध किया है कि ईश्वर के गुण कर्म व स्वभाव नहीं बदलते. ईश्वर नित्य है उसका ज्ञान भी नित्य है . महर्षि के इस कालजयी ग्रन्थ व उनकी समीक्षाओं का ही यह प्रभाव है की मौलाना अख़लाक़ हुसैन जी ने अपनी पुस्तक “ वैदिक धर्म और इस्लाम “ में एक से अधिक बार वेद को ईश्वर प्रदत्त ज्ञान स्वीकार किया है . यह भी लिखा है कि वेद का आविर्भाव सृष्टि के आदि में हुआ . आपने चारों वेदों के नाम भी इस पुस्तक में दिए हैं और जिन चार ऋषियों की ह्रदय गुहा में एक एक वेद का प्रकाश हुआ मौलाना ने उनके नाम भी ठीक ठीक दिए हैं . इस्लामी साहित्य से वेद के ईश्वरीय ज्ञान होने के आपने कई प्रमाण दिए हैं . उक्त पुस्तक में एक से अधिक बार आपने वेद को ईश्वरीय वाणी लिखा है .
हम डॉ जेलानी की पुस्तक से ये प्रमाण दे चुके हैं कि धर्म अनादि होता है और समय समय पर धर्म ( ईश्वरीय ज्ञान ) नहीं बदलता . ये स्वस्थ चिंतन सत्यार्थ प्रकाश की समीक्षाओं का स्पष्ट व ठोस प्रभाव है . अब तक जो कुरान की भाषा व शैली लालित्य को उसके ईश्वरीय ज्ञान होने का प्रमाण माना जाता रहा था . उसे तो सर सैयद अहमद खां व मौलाना शिबली आदि कई मुसलिम विचारकों ने ही नकार दिया . महर्षि दयानन्द जी ने ही फैजी के बेनुक्त ( बिना बिंदु के ) कुरान की अनुपमता का उदहारण दे कर मुसलमानों के इस कथन कोई चुनौती दी थी . प्रत्येक भाषा में ऐसे ग्रन्थ मिलते हैं जिनकी अपनी अपनी विशिष्ठता होती है .
मुसलमान कुरान से पहले मध्य एशिया के सभी ग्रंथों यथा बाइबल आदि को निरस्त हो चुकी बताते रहे हैं . अल्लाह ने एक के पश्चात् अपनी दूसरी पुस्तक को निरस्त करते हुए अन्त में कुरान प्रदान किया . यह अल्लाह का अंतिम ज्ञान ग्रन्थ है और मुहम्मद अंतिम नबी है . पहले के ग्रंथों में हटावत मिलावट हुयी यह कहा जाता है . पहली पुस्तकों में यदि परिवर्तन हुआ है तो इसके लिए दोषी कौन ? पण्डित चमूपति का कथन यथार्थ है कि दोषी मनुष्यों अथवा अल्लाह मियां को मानना पड़ेगा.
वे ग्रन्थ अल्लाह की ही देन थे. पण्डित चमूपति जी ने प्रश्न उठाया है कि यदि पहले के ग्रंथों में गड़बड़ हो गई तो कुरान कैसे बचा रहा या बचा रहेगा ? अल्लाह भी वही है और मनुष्य भी वही हैं . समय पाकर किसका स्वभाव बदल गया ? या तो अल्लाह मियां के ज्ञान में दोष मानना पड़ेगा अथवा उसकी भावना सदाशय समय पाकर दोषयुक्त सिद्ध हुयी ?
शिया मित्रों की मान्यता है की जो कुरान हजरत मुहम्मद पर नाजिल हुआ था उसकी आयतों की संख्या १७००० थी और वर्तमान कुरान की आयतों की संख्या के बारे भी भिन्न भिन्न मत हैं . मुख्य रूप से कुछ विद्वान ६३५६ आयतें मानते हैं और कुछ भाई ६२३६ आयतें बताते हैं . इसका तो सीधा सीधा अर्थ यही हुआ कि कुरान का २/३ भाग गुम कर दिया गया है .
दो तिहाई कुरान गुम
केवल एक तिहाई कुरान बच पाया . अल्लाह ने इसकी रक्षा का दायित्व लिया था . अच्छा दायित्व निभाया ! कुरान में इतनी गड़बड़ हो गई और मुसलमान चुप बैठे हैं . हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं . सत्यार्थ प्रकाश की समीक्षाओं के विरुद्ध इनकी लेखनी व वाणी दोनों चलती रहती हैं , परन्तु दो तिहाई कुरान देखते देखते उड़ा दिया गया .
“हक प्रकाश “ में तो यह दावा किया गया कि कुरान शरीफ रजिस्टर्ड डाक समान सुरक्षित व व्यवस्थित हो गया है . नई नई युक्तियाँ व नये नये दृष्टान्त घड़ने में तो मौलवियों ने प्रशंसनीय पुरुषार्थ किया है . पुरुषार्थ में क्या कमी छोडी ? परन्तु रजिस्टर्ड डाक की क्या दुर्दशा हुयी यह मौलाना मुहम्मद मंजूर जी की पुस्तक का प्रमाण देकर हमने ऊपर बता दिया है .