शिकार
एक मुहरिम (एहराम की दशा वाले व्यक्ति) के वास्ते शिकार भी वर्जित है। किसी ने मुहम्मद को जंगली गधे का गोश्त दिया। पर उन्होंने यह कहते हुए उसे मना कर दिया-”अगरहम एहराम की हालत में नहीं होते, तो इसे तुमसे कुबूल कर लेते“ (2704)। किन्तु यदि जानवर को किसी गैर-मुहरिम साथी द्वारा मारे गए जंगली गधे की टांग मुहम्मद को पेश की गई। ”रसूल-अल्लाह ने उसे कुबूल किया और खाया“ (2714)।
यद्यपि एक प्रकार का शिकार मुहरिम के वास्ते मना है, किन्तु इससे वह जैन या वैष्णव नहीं बन जाता। ”चार तरह के दुष्ट जानवरों“ को उसे तब भी मारना चाहिए-”चील, कौआ, चूहा और लालची कुत्ता।“ किसी ने पूछा-”मगर सांप ?“ मुहम्मद ने जवाब दिया-”उसे दुर्गत करके मारा जाय“ (2717)।
author : ram swarup