सृष्टि के आरंभ में लोगों की भाषा वैदिक ”संस्कृत” थी। सबसे पुरानी वैदिक संस्कृत” भाषा है। इससे पुरानी कोई भाषा है ही नहीं। ।
स वेद की भाषा तो सार्वकालिक है, सब कालों में लागू होती है। यह जो आजकल बोली जाने वाली संस्कृत है, वो भी वेद में से ही निकली है। बाकी सभी भाषाएँ संस्कृत के बाद में बनी।
स संस्कृत से ही तैयार हुई वेद भाषा है-नियमों की भाषा। वेद की भाषा, संविधान वाली भाषा है, जैसे-ऐसा करना चाहिए, ऐसा नहीं करना चाहिए, सच बोलना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए। चोरी नहीं करनी चाहिए। झगड़ा नहीं करना चाहिए। और जब हम व्यवहार करते हैं, तो हमको तीन कालों में बदलकर वह भाषा बोलनी पड़ती है। मैंने सत्य बोला,-यह भूतकाल हो गया, मैं सत्य बोलता हूँ-अब वर्तमान काल हो गया। मैं सत्य बोलूंगा- यह भविष्यत् काल हो गया। तो ऐसे विधान की भाषा में और व्यवहार की भाषा में इतना अन्तर आ जाता है। इस तरह वेद की भाषा संविधान की भाषा है और व्यवहार की भाषा को तीन कालों से जोड़कर देखा जाता है। वेद की भाषा से हमारी बोलचाल की भाषा संस्कृत तैयार हुई।