एक समय में एक ही प्रकार का प्राणायाम करना चाहिए। जैसे बाह्य प्राणायाम या आभ्यन्तर-प्राणायाम। दो या तीन प्रकार के प्राणायाम एक साथ क्यों नहीं करना चाहिए। क्या ऐसा करने से कोई हानि है?

हाँ ऐसा करने से हानि हो सकती है। एक समय में एक ही प्रकार का प्राणायाम करना चाहिए। यदि आपने बाह्य प्राणायाम किया, तो केवल बाह्य प्राणायाम ही करें। दो, तीन, चार, पांच, सात जितने भी करें, बाह्य प्राणायाम ही करें। फिर शाम को उपासना में आप दूसरा बदल सकते हैं। शाम को दो, तीन, चार, पांच अभ्यांतर प्राणायाम कर लें। एक ही समय की उपासना में दो बाह्य कर लिए, तीन आभ्यन्तर कर लिए ऐसा न करें।

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