जी हाँ योगाभ्यास में मन के सारे विचारों को नहीं रोकना है। कुछ विचार रोक दनते हैं, कुछ चालू रखने हैं । संसार के विचारों को बंद कर देना है और ईश्वर के विचारों को चालू रखना है। सारे विचारों को बिल्कुल बंद कर दें, विचारशून्य हो जाएँ। यह शुरू में बहुत कठिन है। सांसारिक विचारों को बंद कर दीजिए। खाना-पीना, घूमना-फिरना, शापिंग वगैरेह के सारे विचार बंद। ईश्वर के विचार को मन में चालू रखिए। तो इसका नाम-योग है। तो यह कर सकते हैं। है तो यह भी कठिन, लेकिन अभ्यास करेंगे तो यह हो जाएगा।