आत्मा के पास अपनी देखने,सुनने की शक्तियाँ हैं, परंतु वो बहुत कमजोर हैं। केवल अपनी शक्तियों से वो देख-सुन नहीं पाता। जब बंधन में आता है, तो प्राकृतिक शरीर की सहायता से, इन्द्रियों से वो काम करता है। जीवात्मा जब मोक्ष में जाता है, तो ईश्वर उसको अपनी शक्ति देता है। जैसे छोटा बच्चा चल नहीं पाता, तो माँ उसको गोद में उठा लेती है। और माँ की गोद में बैठकर फिर वह यात्रा करता है। उसके पास शक्ति कम है, इसलिए तब माँ उसकी सहायता करती है, और उसका काम पूरा हो जाता है। ऐसे ही ईश्वर आत्मा को मोक्ष में देखने के लिए, सुनने के लिए, सारे काम करने के लिए अपनी शक्ति दे देता है।