जीवात्मा सुख चाहता है। यह सुख की इच्छा उसे जीने के लिये प्रेरित करती है। मुझे सुख मिलेगा, इसलिए जी रहा हूँ। सुख के लिए व्यक्ति जीता है। कभी-कभी उसके जीवन में दुख बढ़ जाता है, तब वो उस दुख से घबरा जाता है। जब उसको दिखता है कि, मेरे जीवन में सुख कहीं नहीं है, दुःख ही दुख है, तो फिर वो जीना नहीं चाहता, फिर वो कहीं नदी में कूद जाता है। कोई कुएं में कूद जाता है, कोई जहर पी लेता है, कोई ट्रेन के नीचे कट जाता है। फिर आत्महत्या (सोसाइड( कर लेता है। आत्महत्या नहीं करनी चाहिए। उस समस्या का हल ढूंढ लेना चाहिये। हर समस्या का हल होता है, समाधान होता है। उसको खोजने की आवश्यकता है। स्वयं आपको समझ में नहीं आता तो दूसरे व्यक्ति के पास जाइए, उससे सलाह सुझाव लीजिए, कि- मेरी समस्या का क्या समाधान है? कहीं न कहीं मिलेगा। सोसाइड करना पाप और अपराध है, भारतीय कानून में भी, ईश्वर के कानून में भी। जो कोई ऐसा करेगा, उसको दण्ड मिलेगा।
What kinda punishment is given to them who did it??????and how it is a sin????????
Pls read in detail author’s book
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