जी हाँ, बिल्कुल मनाना चाहिये। कैसे मनाना चाहिये? केक काटना, मोमबत्ती जलाना, फूँक मारकर बुझाना, और हैप्पी बर्थडे टू यू, ऐसा नहीं। ऐसे नहीं मनाना चाहिये। ये तो वेस्टर्न कल्चर है, पश्चिमी सभ्यता है। भारतीय सभ्यता से जन्म दिन मनाना चाहिये। अपने घर में हवन करो। सब मित्र, संबंधी, रिश्तेदारों को बुलाओ, आज मेरा जन्म दिन है। बुलाओ और सबके सामने संकल्प लो, और सोचो, मेरा जन्म क्यों हुआ था? मैं किस काम के लिये दुनिया में आया हूँ? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? क्या मैं अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा हूँ? बढ़ रहा हूँ तो ठीक है। थोड़ी और गति बढ़ाओ। और यदि नहीं बढ़ रहा हूँ, तो संकल्प लो, अब मैं अपने लक्ष्य की ओर बढूँगा। मेरा लक्ष्य क्या है- मोक्ष। ईश्वर प्राप्ति, मोक्ष प्राप्ति, जन्म-मरण से छूटना, यह सबके जीवन का लक्ष्य है। जिसको भी जन्म दिन मनाना हो, इस तरीके से मनाये। ऐसा संकल्प करें, कि आज मैं इस गुण को धारण करता हूँ और कम से कम एक दोष को छोड़ें। गुस्सा करना, झूठ बोलना, छल-कपट करना, हेरा-फेरी करना, जो भी हो, कोई भी एक दोष छोड़ें। एक जन्मदिन पर एक दोष छोड़ें और एक गुण को धारण करें। अगर आपने बीस साल जन्म दिन मनाया, तो देखिये बीस साल में कितनी अच्छी उन्नति हो जायेगी। बीस गुण आ जायेंगे, बीस दोष चले जायेंगे। यज्ञ करें, सब लोगों को इकट्ठा करें। और सबको अच्छी-अच्छी मिठाई खिलायें, आप भी खायें। इस तरह से जन्मदिन मनाना चाहिये।