सहीह बुखारी जिल्द ४ हदीस ५२३ पृष्ठ संख्या ३३२
जबीर बिन अद्बुल्लाह से रिवायत है कि मुहम्मद साहब ने कहा कि रात होने लगे तो अपने बच्चों को घर के अन्दर रखें क्योकि रात को शैतान घूमता है . घर का दरवाजा बंद कर लिया जाये और अल्लाह का नाम लें क्योंकि शैतान बंद दरवाजा नहीं खोलता.
सहीह बुखार्री में यही हदीस जिल्द सात में भी आयी है :
सहीह बुखारी जिल्द ७ हदीस ५२७ पृष्ठ संख्या ३६२
जबीर बिन अब्दुल्लाह से रिवायत है कि जब शाम हो अर्थात जब रात होने लगे तो बच्चों को बाहर जाने से रोकें क्योंकि उस समय शैतान घूमता है .घर के दरवाजे बंद कर लें और अल्लाह का नाम लें . अपनी मसक ( पुराने ज़माने में पानी भरने के काम में आता था जो पशु की खाल से बना होता था . अभी भी रेगिस्तान में भेड़ आदि चराने वाले इसका प्रयोग करते हैं ) का मुंह बाँध दो और अल्लाह का नाम लो अपने बर्तनों को ढक दो और अल्लाह का नाम लो और दीपक बुझा दो .
विचार करने की आवश्यकता यह है मुसलमानों को शैतान का इतना डर क्यों सताता है?
शैतान केवल मुसलमानों को ही तंग क्यों करता है ?
अल्लाह मियां शैतान से अपने सही रास्ते पर चलने वाले मुसलमानों को बचाने के लिए कुछ करते क्यों नहीं हैं ?
इन हदीसों में शैतान से डर केवल बच्चों के लिए लिखा है ? क्या शैतान सर्व्यापक है जो हर बच्चे के पास शैतान के पहुँचने और नुक्सान पहुँचाने का डर रहता है? लेकिन ऐसा आजतक ये सुनने में भी नहीं आया कि शैतान ने किसी के बच्चे को नुकसान पहुंचाया हो ? किसी मोमीन ने न तो ये शिकायत की है की उसके बच्चे को शैतान ने नुक्सान पहुँचाया यदि नुकसान पहुंचाया होता तो पुलिस में जाकर इत्तिला करता. यहाँ तक की मुस्लिम देशों की किसी अदालत में भी शैतान के ऊपर कोई मुकदमा दाखिल हुआ .
आतंकवाद के इस युग में जहाँ आतंकवादियों के पास भी एटमी हथियार हैं वहां मुस्लिम देशों के पास तो इनकी भरमार है. यदि शैतान का इतना ही खौफ है, कि अल्लाह मियां को रसूल के माध्यम से लोगों को हिदायत देनी पड़ती है , इन आतंकवादियों और मुस्लिम देशों को चाहिए की इन हथियारों को शैतान के खिलाफ काम में लें ?
एक प्रश्न ये भी जहन में आता है कि शैतान मुसलमान बच्चों को पहचानता कैसे होगा क्या नाम पूछता होगा ? क्या कपड़े उतार के ……….. या कोई और तरीका इस्तमाल करता है .
कमाल की बात है कि शैतान बच्चों को नुकसान तो पहुंचा सकता है लेकिन बंद दरवाजा नहीं खोल सकता ? ये बड़ी अजीब कहानी है ? फिर अल्लाह मियां ने यहाँ ये भी नहीं बताया की शैतान किस उम्र तक के बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है . बच्चा होने की कुछ उम्र भी तो निश्चित की होगी और फिर उस उम्र की पहचान करने के लिए शैतान क्या उनका जन्म प्रमाण प्रत्र देखता है ?
अब ऊपर दी हुयी दोनों हदीसों के साथ यह हदीस भी पढ़िए :
सहीह बुखारी हदीस ३९७ जिल्द ८ , पृष्ठ २६४ :
इब्न अब्बास से रिवायत है कि रसूल ने फरमाया यदि तुम में से कोई भी अपनी बेगम से हमबिस्तर हो तो वो कहे “बिस्मिल्लाह अल्लाहुम्मा जन्निब्ना श शैतान वा जन्नीबी श शैतान मा राज़क्ताना “ और यदि किसी युगल को इस तरह संतान की प्राप्ति होती है तो उसे शैतान कभी हानि नहीं पहुचा पायेगा.
बुखारी ने इस हदीस को जिल्द ९ में भी लिखा है. हदीस संख्या ४९३
ये हदीस इस बात की तरफ इशारा करती है कि मुसलमान शैतान को लेकर इतने खौफ जदा हैं कि अपनी बेगम के साथ में एकान्त के पलों में भी शैतान को याद करना पड़ता है .
ये देख कर तो ये ही लगता है कि अल्लाह और रसूल पर ईमान क्या लाये चैन से बेगम के साथ कुछ पल गुजारना भी भरी पढ़ गया .
हे अल्लाह ! तुमने अपने बन्दों पर ऐसा अज़ाब क्यों डाला ! कम से कम बेगम के साथ तो चैन से समय गुजारने दिया होता वहां भी शैतान का खौफ …….
janab aapne kis bhukhari Sharif men jild 7me 397 via had is dekhi aur Jo arya samaji Islam janate take nahi vo ye baaten krte h aapne khabais se kya samjha Islam me unch nich jatpat va pure khyalon ko phi khabais kaha h dekho surah nas 114 isame pure insano ko shetan kaha h shetan ka arth hi h Jo nek nahi yah kisi jati jive ka nam nahi .
aur kyun ji kya aapne styarth prakash nahi padha usame swami ji Jo nasika ke samne nasika va much ke samne muh rakhakar kon si sambhog ka vigyan sikha rage h …Islam me santanouttpatti kam kam bhi ishvar ka nam lekar kiya jata h aur isi karan vah dua h …. agar chahun to arya sandhya par itane sawal KR sakta hun ki nani yad aa jayegi… PR arya murkhon se kon uljhe …