सट्टेबाजी मना
मुहम्मद सट्टे का निषेध करते हैं। ”वह जो अनाज खरीदता है, उसे तब तक नहीं बेचना चाहिए, जब तक कि अनाज उसके हाथ में न आ जायें“ (3640)। मुहम्मद के अपने जीवन काल में, जैसे-जैसे अरब पर उनका नियन्त्रण बढ़ता गया, वैसे-वैसे उनके आदेश राज्य की नीति बनते चले गये। सालिम बिन अबदुल्ला बतलाते हैं-”मैंने अल्लाह के पैग़म्बर की जिन्दगी के दौरान उन लोगों को पीटे जाते देखा जिन्होंने थोक खाद्यान्न खरीद लिया था और फिर उसे अपने ठिकानों पर ले जाये बिना वहीं पर बेच दिया था“ (3650)।
”वायदे के“ सौदों की भी इज़ाज़त मुहम्मद ने इसलिए नहीं दी कि उनमें सट्टे की प्रवृत्ति पाई जाती है। उन्होंने ”अगले सालों के लिए बेचना और पकने के पहले फलों को बेचना“ मना कर दिया (3714)। दस्तावेजों (संभवतः हुंडी अथवा बिल्टी) की मदद से किए जाने वाले सौदे भी गैरकानूनी करार दिये गये। इस आदेश का पालन पुलिस की मदद से किया जाता था। सुलैमान बतलाते हैं कि ”मैंने सन्तरियों केा लोगों से इस प्रकार की दस्तावेज छीनते देखा“ (3652)।
author : ram swarup