*सच्ची रामायण की पोल खोल -४
अर्थात् पेरियार द्वारा रामायण पर किये आक्षेपों का मुंहतोड़ जवाब*
– कार्तिक अय्यर
ओ३म
धर्मप्रेमी सज्जनों!पेरियार के आक्षेपों के खंडन की चौथी कड़ी में आपका स्वागत है। आपने पिछले लेखों को पढ़ा तथा शेयर किया।इसलिये में हृदय से आपका आभारी हूं।आशा है कि आगे की पोस्ट भी आपका इसी प्रकार समर्थन प्राप्त करेगी। पेरियार साहब की “भूमिका” के खंडन में :-
*प्रश्न-३ :-रामायण युद्ध में कोई भी उत्तर भारत का कोई भी निवासी ब्राह्मण (आर्य) या देवता नहीं मारा गया।एक शूद्र ने अपने जीवन का मूल्य इसलिये चुकाया था क्योंकि आर्यपुत्र बीमार होने के कारण मर गया था इत्यादि।वे लोग जो इस युद्ध में मारे गये वे आर्यों द्वारा राक्षस कहे जाने वाले लोग थे*
*समीक्षा:-* आपका यह कथन सर्वथा अयुक्त है।राम-रावण युद्ध में दोनों ओर के योद्धा मारे गये थे।वानर भी क्षत्रिय वनवासी ही थे, तथा आर्य ही थे,यह हम सिद्ध कर चुके हैं।यह सत्य है कि लक्ष्मण जी,जांबवान,हनुमान आदि वीर योद्धा नहीं मारे गये परंतु कई वानर सैनिक वीरगति को प्राप्त हुये।जब आर्य-राक्षस में युद्ध होगा तो दोनों ही पक्ष के सैनिक मारे जायेंगे या नहीं? राम-रावण युद्ध ” परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृतां” था। अर्थात् अधर्म पर धर्म की विजय का युद्ध था। धर्म-अधर्म के युद्ध में धर्म को जीतना ही था।
यहां फिर प्रांतवाद का खेल खेला। आर्य,देवता या ब्राह्मण केवल उत्तर भारत के ही नहीं होते बल्कि सर्वत्र हो सकते हैं, क्यों कि ये गुणवाचक संज्ञायें हैं कोई जातिगत नाम नहीं। यही नहीं, रावण तक को उसका पुत्र प्रहस्त “आर्य” कहकर संबोधित करता है। अतः पेरियार साहब की यह बात निर्मूल है।
रहा प्रश्न शंबूक वध का तो यह प्रक्षिप्त उत्तरकांड की कथा है । *हम डंके की चोट पर कहते हैं उत्तर कांड पूरा का पूरा प्रक्षिप्त है तथा महर्षि वाल्मीकि की रचना नहीं है।हम इस कथन को सिद्ध भी कर सकते हैं।*
” राक्षस कहे जाने वाले तमिलनाडु के मनुष्य थे”- यह सत्य नहीं है।लंका कहां और तमिल नाडु कहां? रावण की लंका सागर के उस पार थी और तमिल नाडु भारत का अंग है।तो तमिल वासी राक्षस कैसे हुये? राक्षस आतंककारी, समाज विघातक,दुष्टों को कहते हैं। रावण की लंका के वासी ऐसे ही कर्मों के पोषक होने से राक्षस ही थे। ISIS जैसे आतंकी संगछन,माओवादी,नक्सली सब मानवता विरोधी हत्यारे हैं।इनको मारना मानव मात्र का कर्तव्य है।तब श्रीराम का राक्षसों का संहार गलत क्यों?
स्पष्ट है कि लेखक आर्य-द्रविड़ की राजनीति खेलकर अपना मतलब साधना चाहते हैं। उनकी इसी विचारधारा को पेरियारभक्त आगे बढ़ा रहे हैं।
: *प्रश्न:-४ रावण राम की स्त्री सीता को हर ले गया- क्योंकि राम के द्वारा उसकी बहन सूर्पनखा के अंग-भंग किये गये व रूप बिगाड़ा गया। रावण के इस कृत्य के कारण पूरी लंका क्यों जलाई जाये? लंका निवासी क्यों मारे जायें?इस कथा उद्देश्य केवल दक्षिण की तरफ प्रस्थान करना है। तमिलनाडु में किसी सीमा तक सम्मान से इस कथा का विष-वमन अर्थात् प्रचार यहां के लोगों के लिये अत्यंत पीड़ोत्पादक है।*
*समीक्षा*:-
रावण सीता को हरकर ले गया,ये कदापि न्यायसंगत नहीं था।भला छल से किसी के पति और देवर को दूर करवाकर तथा कपटी संन्यासी का वेश धरकर एक अकेली पतिव्रता स्त्री का हरण करना कौन सी वीरता है? यदि रावण सचमुच इतना शूरवीर था तो राम-लक्ष्मण को हराकर सीताजी को क्यों नहीं ले गया?अंग-भंग किये लक्ष्मण जी ने श्रीराम के आदेश पर और बदला लिया एक पतिव्रता निर्दोष स्त्री से!
और शूर्पणखा का अंग-भंग करना भी उचित था,क्योंकि एक तो कुरूप,भयावह,कर्कशा,अयोग्य होकर भी न केवल शूर्पणखा ने श्रीरामचंद्र पर डोरे डाले,प्रणय निवेदन किया,बल्कि माँ सीता पर जानलेवा हमला भी किया।ये दोनों कृत्य दंडनीय अपराध हैं जिनका दंड शास्त्रों में प्रतिपादित है।इस विषय पर आगे विस्तार से लिखा जायेगा।परंतु शूर्पणखा और रावण के कृत्य कदापि न्यायसंगत नहीं कहे जा सकते।
रहा प्रश्न लंका को जलाने का तो इस पर भी आगे प्रकाश डाला जायेगा।फिलहाल यह जानना चाहिये कि हनुमान जी ने अधर्मी राक्षसों को संतप्त करने के लिये लंका का ‘दुर्ग’ नष्ट किया था,पूरी लंका नहीं।उसी को अतिशयोक्ति में कह दिया गया कि पूरी लंका जल गई।इसे ऐसे जानिये,जैसे कह दिया जाता है कि ‘पूरा काश्मीर आतंकी हमलों से जल रहा है’ यहां कश्मीर का जलना आलंकारिक है।जलने का तात्पर्य आतंकित होना,त्रस्त होना इत्यादि है।देखिये:-
*वनं तावत्प्रमथितं प्रकृष्टा राक्षसा हताः।*
*बलैकदेशः क्षपितः शेषं दुर्गविनाशिनम्।।२।।*
*दुर्गे विनाशिते कर्म भवेत्सुखपरिश्रम।।* ( सुंदरकांड सर्ग ३५ )-स्वामी जगदीश्वरानंद टीका।
अर्थात्:-*(हनुमान जी विचारकर रहे हैं)’मैंने रावण के प्रमदावन=अशोकवाटिका का विध्वंस कर दिया।चुने हुये पराक्रमी राक्षसों को मार दिया।अब तो केवल दुर्ग का नाश करना शेष है।दुर्ग के नष्ट होते ही मेरा परिश्रम सार्थक हो जायेगा।
“तमिलनाडु में इस कथा का प्रचार विष वमन,निंद्य तथा पीड़ोत्पादक है”-यह कहना दुबारा आर्य-द्रविड़ का खेल खेलना दर्शाता है।क्योंकि *रामायण धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य के संग्राम की कथा है*- रामायण का पढ़ना-पढ़ाना केवल असत्य,अधर्म के पक्षियों के लिये ही पीड़ोत्पादक हो सकता है नाकि आम जनता के लिये।आम जनता में रामायण के प्रचार-प्रसार से धर्य,नैतिकता,स्वाभिमान,राष्ट् रीयता आदि गुणों का ही प्रचार होगा।रामायण किसी देश विशेष की निंदा नहीं अपितु अधर्म का प्रतिकार सिखाती है।इस राजनीतिक हथकंडों द्वारा आप केवल अपने अंधभक्तों को फंसा सकते हैं,जनता-जनार्दन को नहीं।अस्तु।
पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये धन्यवाद ।कृपया पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें ताकि श्रीराम तथा आर्य संस्कृति के बारे में फैले दुष्प्रचार का निराकरण हो। अगले लेख में भूमिका पर अंतिम समीक्षा तथा ” कथास्रोत”नामक लेख का उत्तर दिया जायेगा। पेरियार साहब ने पुस्तक में दशरथ,राम,सीता आदि शीर्षक देकर आलोचना की है तथा ललई सिंह यादव,जिन्होंने हाईकोर्ट में सच्ची रामायण का केस लड़ा और दुर्भाग्य से जीता,ने “सच्ची रामायण की चाबी” नाम से पेरियार की पुस्तक का शब्द प्रमाण दिया है।ये दोनों पुस्तकें सच्ची रामायण तथा इसकी ‘चाबी’ हमारे पास पीडीएफ रूप में उपलब्ध है।हम दोनों का खंडन साथ ही में करेंगे।ईश्वर हमें इस काम को आगे बढ़ाने की शक्ति दे।
धन्यवाद
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र जी की की जय।।
योगेश्वर श्रीकृष्ण चंद्र जी की जय
नोट : यह लेखक का अपना विचार है | लेख में कुछ गलत होने पर इसका जिम्मेदार पंडित लेखराम वैदिक मिशन या आर्य मंतव्य टीम नहीं होगा
apka lekh bahut gyan vardhak hain kripya aise lekh likhte rahen hum aapke sath hain. JAI SHREE RAM !!!
sachchi ramayan
सर्वप्रथम रामायन एक काल्पनिक कहानी है इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही।
आपके इस लेख में बहुत सी बाते भ्रमित करने वाली है
1. वानर आर्य है- पहली बात वानर बंदरो को कहा जाता है अगर वानर बन्दर है तो क्या बंदरों की मानसिक स्थिती उस समय इतनी अच्छी थी की वे भरी हथियारों का भली भाती उपयोग कर सकते थे। क्या उस समय के वानर पढ़ना लिखना जानते थे। अगर वानर आर्य थे तो पुरी रामायण में उन्हें आर्य कह कर सम्बोधित क्यू नही किया गया। वानर सेना को छोड़िये हनुमान और सुग्रीव को भी पूरी रामायण में कही भी आर्य कह कर सम्बोधित नही किया गया है।
2. लंका के लोग राक्षस- आप कहते है की लंका के लोगो के लिए राक्षस शब्द का उपयोग किया गया तो फिर आपकी रामायण के अनुसार आपके ऋषी भारत में रह कर यज्ञ करते थे तो उनके यज्ञ को क्षति पहुचाने लंका के लोग आते थे?
3. सीता का हरण- सीता हरन पर बात करने से पहले में आपका ध्यान सीता के बचपन और उनके स्वयंवर की और लेजाना चाहूँगा। सीता जब रजा जनक की गोद में खेला करती थी तब उन्होंने शिव धनुष उठाया मतलब उनमे उस समय बहुत शक्तियां थी की वो इतना भरी धनुष उठाने में सक्षम थी।
जब उनका स्वयंवर हुआ तब सबसे पहले उन्होंने ही वह धनुष उठाया मतलब जब वो बड़ी हुई तब भी उनमे वही शक्तियां विद्यमान थी।
कहने का मतलब ये है की रावण जेसा बलशालि व्यक्ति जीस धनुष को नही हिला पाया उसको बड़ी सहजता के साथ उन्होंने उठा लिया।
तो इतनी बलशालि स्त्री का हरन रावण कैसे कर सका।
दूसरी बात लक्ष्मण ने सीता की रक्षा के लिए एक रेखा खिंची जिसको कोई भी पार नही कर सकता जो उस रेखा को पार करता तो वो स्वतहः ही भस्म हो जाता, तो सीता ने उस रेखा को जीवित कैसे पार किया?
3. शूपर्णखा का राम को शादी का प्रस्ताव देना- अगर शूपर्णखा ने राम को शादी का प्रस्ताव दिया तो वो किस तरह से गलत है। आपके लेख के अनुसार वो इस लिये गलत है क्यू की वो राक्षस थी, वो कुरूप थी, उसकी आवाज कर्कश थी क्या ये कारन उचित है किसी महिला के किसी पुरूष को शादी के लिए प्रस्ताव न करने के? चलो मान लिया राम विवाहित थे इस लिए सुपर्णखा राम को शादि का प्रस्ताव नही दे सकती थी तो क्या इसका दंड उसकी नाक काटना था क्या ऐसा आपकी दंड सहिता में लिखा है?
तो मुझे ये बताइये किसी को छुप कर मारने का क्या दंड लिखा है?
4. रामायण धर्म सिखाती है- अगर रामायण धर्म सिखाती है तो राम ने सीता की अग्नि परीक्षा ले कर कोनसा धर्म निभाया?, अगर राम धार्मिक थे तो उन्होंने गर्भवती स्त्री को अकेले वन में भटकने को छोड़ कर कोनसा धार्मिक कार्य किया? अगर राम धार्मिक थे तो एक वानर को छुप कर मारना कोनसा धर्म था?
और आपकी दण्ड सहित में इन कार्यों के लिए क्या दण्ड निर्धारित है।
न्यायालय में कोई भी मुकदमा किस्मत के आधार पर नही अपितु तर्कों के आधार पर जीता जाता है अगर आपको लगता है आप के तर्क प्रभाव शाली है तो आप न्यायालय के उस फेसले के खिलाफ याचिका डाले।
धन्यवाद
Wanar bandar ko kaha jataa hai ye kya zibrail ne bataya kya ?☺️
Van men rahne wale manushyon ko wanar kahte hein
Sidhe sidhe hi bol deta na ki purvaj bhi vanar hi the ” van me rahne wale manushaya” 😂😂😂😂
👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏 aapne to writer mahodaya ki khal hi udhed di, wo ab tak to comma me chale gaye honge 👏👏👏👏👏👏
Abe chutiye iska uttar diya ja chuka hai
Aur blogs pdh le 😂
Bhasha ki garima banaye rakhen
Thanks
जय श्री राम