रातों के जश्न
एक महत्त्वपूर्ण हदीस है, जो मोमिनों को एक और सुविधा देती है तथा पैगम्बर की यौन-संहिता पर कुछ प्रकाश भी डालती है। निष्पक्षता के लिए यह आवश्यक है कि मोमिन अपनी बीवियों के पास बारी-बारी से जाये। लेकिन जब वह उनमें से एक के साथ हम-बिस्तर हो, तो वह दूसरी बीवियों को अपने आस-पास रख सकता है। मुहम्मद के नौकरों में से एक अनस बतलाता है-”अल्लाह के पैगम्बर की सभी बीवियां हर रात उस के घर में इकट्ठा हो जाती थीं जिसके घर में ये (रसूल) होते थे …. एक रात वे आयशा के घर में थे कि जैनब वहां आयी। उन्होंने (पाक पैगम्बर ने) अपना हाथ उसकी (जैनब की) ओर पसारा। तभी वह (आयशा) बोल उठी यही वह जैनब है। रसूल अल्लाह ने अपना हाथ खींच लिया। उन दोनों के बीच तब तक कहा-सुनी होती रही जब तक कि उनकी आवाजें तेज़ न हो गयीं।“ सुबह जब नमाज का ऐलान हुआ तब अबू बकर मुहम्मद को ले जाने के लिए आये। आवाजें सुनकर वे बोले, ”रसूल-उल्लाह ! नमाज़ के लिए चलिये और इन के मुंह में खाक फेंकिये“ (3450)।
author : ram swarup