. प्रार्थना (सलात)
चौथी किताब ”सलात की किताब“ है। यह सबसे लंबी है। इसमें 1398 अहादीस हैं, जो 203 पर्वों में विभक्त हैं। पर इस समस्त किताब में आत्मगवेषणा या आत्मज्ञान जैसे उन प्रसंगों की तलाश व्यर्थ होगी जो भारतीय अध्यात्म-परम्परा में स्थायी महत्व के रहे हैं। भिन्न-भिन्न रूपों में व्यक्त होने वाली एक ही दिव्य सत्ता की उपासना भिन्न-भिन्न स्वभाव वाले मनुष्य विविध मार्गों से कर सकते हैं, इसका कोई दूरवर्ती संकेत तक इसमें नहीं है। यहां जिस प्रकार एक ही अल्लाह है, एक ही मार्गदर्शक है और एक ही किताब है, वैसे ही एक ही प्रार्थना है जो एक ही सूत्र में बद्ध और स्थिर हैं।
इस किताब के 203 पर्वों के शीर्षकों से ही प्रकट हो जाता है कि वे सभी पर्व बाह्माचार से संबंधित हैं- अज़ान (प्रार्थना के लिए बुलाया जाना); झुकने; सजदा करने और उठने की भंगिमाएं; नमाज़ों के वक्त और उनकी संख्या; प्रार्थना-व्यवस्था में इमाम की जगह; अलग-अलग समय की प्रार्थना के गुण-वैशिष्ट्य; वर्षा के लिए प्रार्थना, आंधी तथा अन्य विपदाओं से रक्षा करने के लिए प्रार्थना, मृत व्यक्ति से सम्बद्ध प्रार्थना, इत्यादि।
author : ram swarup